राजधानी रायपुर के बूढ़ा तालाब पर रसोइया संघ का धरना-प्रदर्शन गुरुवार को भी जारी है। 4 दिवसीय प्रदर्शन में प्रदेशभर के स्कूलों में मिड डे मील बनाने वाली रसोइया संघ की महिलाएं इकट्ठा हुई हैं। उनकी मांग है कि उनका वेतन कलेक्टर दर पर किया जाए, जिससे उनका घर भी चल सके। हालांकि सरकार ने इस बजट में इनका मानदेय 300 रुपए से बढ़ाकर 1800 रुपए प्रतिमाह किया है।
रसोइया संघ की अध्यक्ष नीलू ओगरे का कहना है कि रसोइया और रसोइया सहायिका को 1500 प्रतिमाह मानदेय मिलता था। जिसमें इस बजट में मामूली वृद्धि कर मात्र 1800 रुपए किया गया है। वो भी पूरे साल का न होकर केवल 10 माह तक। मतलब 1 दिन का सिर्फ 60 रुपए। इतने रुपए में महंगाई के इस दौर में केवल 1 किलो सब्जी आ पाएगी, बाकी तेल, नमक, मिर्च के लिए पैसा कहां से लाएं।
नीलू ओगरे ने कहा कि सरकार बेरोजगारों को 2500 रुपए प्रतिमाह भत्ता दे रही है, लेकिन हमें पूरे महीने काम करने पर केवल 1800 रुपए मिलेगा। कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में कलेक्टर दर पर वेतन दिए जाने का वादा किया था, जिसे अब तक पूरा नहीं किया गया है। सरकार अपना वादा भूल चुकी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री पोषण शक्ति योजना (मिड डे मील) में राज्य के 33 जिलों के 146 विकासखंड के करीब 45 हजार स्कूलों में बच्चों को भोजन खिलाया जाता है। प्रदेश के लगभग 30 लाख बच्चों के लिए 87 हजार रसोइया भोजन बनाते हैं।
कुछ दिनों पहले रसोइया संघ की सदस्यों ने निकाली थी पदयात्रा
पिछले दिनों यह रसोइया संघ की महिलाओं ने विधानसभा घेराव का कार्यक्रम किया था। जिसमें महिलाएं प्रदेश के अलग-अलग जिलों से पदयात्रा पर निकली थीं। इस पदयात्रा में महासमुंद से निकली महिलाओं के ग्रुप में से एक महिला नेशनल हाईवे पर बेहोश होकर गिर गई थी। कोई मदद नहीं मिल पाने की स्थिति में बीजेपी प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास ने तत्काल एंबुलेंस भेजकर इनकी मदद भी की थी।
रसोइया संघ की सदस्यों ने सिर पर काली हांडी रखकर भी सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया था। 23 मार्च को रसोइया संघ की महिलाओं के प्रदर्शन का चौथा दिन है। ये महिलाएं बूढ़ा तालाब से रैली निकालकर प्रशासन को ज्ञापन सौंपेंगी।
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