फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य-MSP में वृद्धि और बारह महीने कम से कम MSP मिलते रहने की मांग पर किसानों की लामबंदी फिर से शुरू हो गई है। छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ से जुड़े संगठनों ने इसके लिए किसान बइठका बुलाया है। इसका आयोजन 21 अक्टूबर को महासमुंद कृषि उपज मंडी परिसर में प्रस्तावित है। इसमें कई जिलों के किसानों को जुटाने की कोशिश हो रही है।
छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ से जुड़े संगठनों ने शनिवार को रायपुर के मंथन हाल में बैठक की। तय हुआ कि अपनी मांगों के समर्थन में किसानों को एकजुट करने के लिए महासमुंद में किसान महाबइठका किया जाए। आयोजन समिति के संयोजक तेजराम विद्रोही ने बताया, केन्द्र और राज्य सरकारें, मेहनतकश मजदूर, किसान और आम जनता को चुनावी वायदों में उलझा रही हैं। उनके द्वारा किये गये वादे आज तक अधूरे हैं।
उनके मुताबिक किसानों को राहत मिलने के बजाय उनके सामने फसल उत्पादन करने से लेकर अपनी फसल का वाजिब दाम पाने का संकट गहराता जा रहा है। खाद, बीज, दवाइयों के दामों में बढ़ोतरी ने किसानों की आर्थिक हालत बद से बदतर कर दिया है। ऐसी परिस्थिति में कृषि और किसानों की वर्तमान हालत और न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी जरुरी क्यों है इस संबंध में व्यापक चर्चा जरूरी हो गई है।
छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के संयोजक मंडल सदस्य जागेश्वर जुगनू चन्द्राकर ने बताया, इस मुद्दे पर किसानों की एकजुटता और आगामी रणनीति के लिए 21 अक्टूबर को किसान महाबइठका प्रस्तावित है। यह बइठका महासमुंद के कृषि उपज मंडी परिसर में सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक होगा। रायपुर में हुई बैठक में किसान भुगतान समिति पिथौरा के संयोजक अजय कुमार साहू, बृज कुमार, अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष मदन लाल साहू, कोषाध्यक्ष उत्तम कुमार, सहसचिव ललित कुमार, कृषक बिरादरी के पवन सक्सेना, किसान संघर्ष समिति बिलासपुर के संयोजक श्याम मूरत कौशिक, सिख संगठन से पलविंदर सिंह पन्नू और हरिंदर सिंह सन्धु आदि शामिल हुए थे।
महाबइठका में केंद्र से यह मांगें प्रस्तावित
राज्य सरकार के सामने भी मांगों की लिस्ट
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