जांजगीर-चांपा के पिहरीद गांव निवासी राहुल साहू बोरवेल से निकाले जाने के बाद अब पूरी तरह ठीक है। 11 साल के राहुल को बचाने के लिए सरकार ने जिस तरह की तत्परता दिखाई उससे गांव वाले काफी खुश हैं। सरकार का आभार जताने राहुल का परिवार और पूरा गांव शनिवार रात मुख्यमंत्री निवास पहुंच गया।
राहुल की मां गीता देवी ने मुख्यमंत्री से कहा आपने अपना बेटा समझ कर राहुल की जान बचाई है। इसके लिए उनका पूरा परिवार बहुत आभारी है। पिहरीद गांव से आए सैकड़ों लोगों ने भी मुख्यमंत्री से मुलाकात कर राहुल को बचाने के लिए धन्यवाद दिया।
इस दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, राहुल के बारे में सूचना मिलते ही उन्होंने निर्देश दिए कि बचाव कार्य में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए। राहुल की दादी को भरोसा दिलाया था कि उसका नाती जिंदा बाहर आएगा। मुख्यमंत्री ने कहा, सामूहिक प्रयास में सफलता जरूर मिलती है, धैर्यपूर्वक और दिन रात लोगों ने मेहनत की। 105 घंटे तक पत्थर, चट्टान को काटकर राहुल को बाहर निकालने का कार्य कठिन था, लेकिन हमारी टीम ने यह कर दिखाया।
मुख्यमंत्री ने कहा, राहुल को बचाने में लोगों की दुआ और ईश्वर की कृपा शामिल है। कहा, बोरवेल से निकालने के बाद अस्पताल में इलाज दूसरी चुनौती थी। अस्पताल के डाक्टर भी बधाई के पात्र हैं। राहुल जिंदगी की जंग पहले बोरवेल में लड़ा और फिर अस्पताल में।
स्पीच थैरेपी और पढ़ाई का पूरा खर्च सरकार उठाएगी
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, राहुल की स्पीच थैरेपी और उसकी पढ़ाई का पूरा खर्च सरकार उठाएगी। उन्होंने राहुल के परिवार को 5 लाख रूपए की आर्थिक मदद की घोषणा भी की। उन्होंने परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति को देखते हुए राहुल की मां को उचित रोजगार उपलब्ध कराने के भी निर्देश दिए।
खेलते हुए बोरवेल में गिर गया था राहुल साहू
राहुल साहू (10) 10 जून की दोपहर 2 बजे के बाद से कुछ पता नहीं चल रहा था। जब घर के ही कुछ लोग बाड़ी की तरफ गए तो राहुल के रोने की आवाज आ रही थी। गड्ढे के पास जाकर देखने पर पता चला कि आवाज अंदर से आ रही है। बोरवेल का गड्ढा 60 फीट गहरा था। राहुल मूक-बधिर है। मानसिक रूप से काफी कमजोर है, जिसके कारण वह स्कूल भी नहीं जाता था। घर पर ही रहता था।
चलाया गया था देश का सबसे बड़ा बोरवेल रेस्क्यू ऑपरेशन
यह एक बच्चे को बचाने के लिए देश का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन लॉन्च किया गया था। 103 घंटे से भी ज्यादा चले इस ऑपरेशन में 4 IAS, 2 IPS, NDRF और सेना के जवान सहित 500 अफसर-कर्मचारी शामिल रहे। इन सबका बस एक ही मकसद था...सेव राहुल यानी 10 साल के बच्चे राहुल को बचाना है। इससे पहले देश में किसी बच्चे के लिए इतना लंबे समय और संसाधन के साथ कोई रेस्क्यू ऑपरेशन नहीं हुआ। यह ऑपरेशन 5 दिन तक चला था। इसके बाद राहुल को सुरक्षित बचा लिया गया।
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