स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने ढाई-ढाई साल के फार्मूले पर कहा कि पंजाब में भी अचानक कुछ नहीं हुआ। छत्तीसगढ़ में ढाई साल तो कब का बीत गया है। प्रक्रिया चल रही है। सबके मन में कौतूहल रहता है। बड़ा निर्णय है, हाईकमान सारी बातों का परीक्षण करता है फिर निर्णय लेता है। दिल्ली से पांच दिन के दाैरे से लौटने के बाद सिंहदेव ने मीडिया से बातचीत की।
चर्चा चल रही है कि क्या होने वाला है, इस पर विराम कब लगेगा ?
जब सरकार बननी थी तब दो-तीन दिन में ही ऐसा लग रहा था कि पता नहीं छत्तीसगढ़ में कब निर्णय होगा। मुख्यमंत्री कब बनेंगे, कब तय होगा। तो कौतूहल रहता है। स्वाभाविक है कि छत्तीसगढ़ वासियों के लिए उनके भविष्य की बात जुड़ी रहती है सरकार कैसे चलेगी आगे कैसा होगा, तो उनके मन में स्वाभाविक है ये कौतूहल।
छोटा निर्णय नहीं होता है ये सब। बड़ा निर्णय है तो हाईकमान बहुत सारी बातों का परीक्षण कौतूहल शांत कब होगा।बस जैसे ही बिटिया की शादी में देरी होती है तो लगता रहता है कि कब होगी शादी- कब होगी शादी, अभी पता चल जाएगा कि लगी कि नहीं शादी...
बदलाव पर क्या कहेंगे?
ये हाईकमान के पास सब निर्णय रहता है।
पंजाब का फैसला अचानक से हुआ, छत्तीसगढ़ में पहले से स्पष्ट है फिर भी देर क्यों?
सभी जगह कुछ न कुछ गतिविधियां चल ही रही थीं। अचानक पंजाब में भी नहीं हुआ लेकिन जरूर है कि बड़ा फैसला हुआ। ये भी हाईकमान की इच्छाशक्ति को प्रदर्शित करता है। तो हाईकमान जो निर्णय लेगा स्वाभाविक है कि वो कार्यरूप में आएगा।
हाईकमान की इच्छाशक्ति आप बता रहे हैं मतलब अचानक से निर्णय छत्तीसगढ़ में भी होगा?
अचानक से नहीं,ये प्रक्रिया है चल रही है। अब लोग तो ढाई-ढाई साल की बात कर रहे हैं। ढाई साल तो कब का बीत गया। नई बात नहीं है। ये बातें तो चर्चा में रहती हैं। उसी चर्चा को अंजाम तक ले जाने की जो बात है वो निर्णय के रूप में आ जाता है।
शैलेष पांडेय कह रहे हैं कि सिंहदेव के समर्थकों को टारगेट किया जा रहा है। इससे इत्तेफाक रखते हैं क्या?
वो भावनात्मक व्यक्ति हैं। भावना में आते हैं और मन जो बातें रहती हैं कई बार सामने आ जाती हैं। वरना सार्वजनिक जीवन में जितना हम संयमित रहें, गुणदोष अपनी जगह रहता है लेकिन जितना बच के चलें, बच के बोलें उतना अच्छा रहता है।
पंकज सिंह पर एफआईआर हुई है उसे कैसे देखते हैं?
एक घटना हुई थी जिसके बारे में मैंने जानकारी ली है। संयोग से कहें या दुर्भाग्य से कहें कि वो स्वास्थ्य विभाग की कमी को ही दूर करने गए थे। ये भी एक संयोग है कि यह किसी भी मरीज के साथ हो सकता है। जो कांग्रेस पार्टी से जुड़ा हुआ परिवार था जिनकी एमआरआई की व्यवस्था होनी थी और सात बजे से वो पहल कर रहे थे। पंकज रायपुर से गए तब से उन तक खबर आ रही थी वो पहल कर रहे थे कि हो जाए।
सबसे पहले तो यह सिम्स प्रबंधन की कमी है कि ऐसी स्थिति बनी ही क्यों। किसी मरीज को 12 बजे तक रुकना पड़ा, मशीन खराब है, ठंडी है, गरम है, फिल्म है कि नहीं। स्वास्थ्य विभाग को यह देखना चाहिए कि यह स्थिति क्यों है। बच्ची कह रही थी कि उससे दो हजार मांगा गया, तब ये होगा।
सबसे पहले तो स्वास्थ्य विभाग के प्रबंधन की कमी को दर्शाता है और लोग तकलीफ में रहते हैं तो आवेश में कभी कभी व्यवहार में ऐसी कहीं कोई बात हो गई हो तो सामने वाले ने एफआईआर कराया। पुलिस का काम है जांच करके घटनाक्रम के अनुसार कार्रवाई करें।
सिम्स प्रबंधन की लापरवाही सामने आई तो क्या कार्रवाई होगी?
मैंने डीन, डीएमई, विभाग के प्रमुखों से कहा कि इस मामले की जांच होनी चाहिए कि आखिर क्यों ऐसा हो रहा है क्योंकि अंतत: मरीज फिर दूसरे अस्पताल में चले गए। क्योंकि शासन करोड़ों रुपए खर्च करती है पब्लिक की सेवा के लिए लेकिन कर्मचारी उसे पूरा नहीं कर पा रहे हैं ये बड़े अफसोस की बात है।
राहुल गांधी छत्तीसगढ़ आने वाले हैं क्या?
माननीय मुख्यमंत्री ने उनके पास प्रस्ताव रखा है। और उसके आधार पर जैसे ही समय होता वाे विचार करेंगे।
बिलासपुर का मामला जनहित से जुड़ा मामला था उसमें पार्टी ने छह साल के निष्काषन की अनुशंसा की गई, बृहस्पत सिंह ने भी पार्टी की छवि बिगाड़ी उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई?
ये तो पार्टी को तय करना पड़ेगा, कि कब, कहां, कैसा, क्या कदम उठाना चाहेंगे। मैं अपने आप को मानता भी हूं और चाहता भी हूं कि अनुशासन में रहूं और अनुशासित सदस्य के रुप में रहूं।
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