रायपुर में धर्म संसद-2021 में महाराष्ट्र से आए संत कालीचरण ने मंच से गांधीजी के बारे में गलत बातें कहीं। उन्होंने कहा कि इस्लाम का मकसद राजनीति के जरिए राष्ट्र पर कब्जा करना है। सन 1947 में हमने अपनी आंखों से देखा कि कैसे पाकिस्तान और बांग्लादेश पर कब्जा किया गया। मोहनदास करमचंद गांधी ने उस वक्त देश का सत्यानाश किया। नमस्कार है नाथूराम गोडसे को, जिन्होंने उन्हें मार दिया। कार्यक्रम के मुख्य संरक्षक और राज्य गोसेवा आयोग के अध्यक्ष महंत रामसुंदर दास ने इस बयान का विरोध करते हुए मंच छोड़ दिया।
धर्म संसद के समापन समारोह में शनिवार को संत कालीचरण यह भाषण दे रहे थे तो दर्शकों के बीच कांग्रेस नेता प्रमोद दुबे, भाजपा नेता सच्चिदानंद उपासने और नंदकुमार साय भी मौजूद थे। नाथूराम गोडसे को जब दोनों हाथ जोड़कर कालीचरण ने नमस्कार किया तो भीड़ जय श्रीराम के नारे लगाकर तालियां बजाने लगी। कालीचरण पिछले साल सोशल मीडिया पर एक वीडियो की वजह से काफी चर्चा में आए थे, जिसमें वह मंदिर के भीतर शिव तांडव स्त्रोत गाते हुए नजर आ रहे थे।
राजा कट्टर हिंदू हो, चाहे किसी भी राजनीतिक दल का हो
धर्म संसद में कालीचरण ने कहा कि राजा यानी कि सांसद, विधायक देश का मंत्री-प्रधानमंत्री ऐसा होना चाहिए जो कट्टर हिंदूवादी हो। हमेशा लोग वोट देने नहीं जाते, ऐसा न करने पर देश में इस्लाम हावी होगा। लोगों को अपने घरों से निकलकर ज्यादा से ज्यादा वोट देना चाहिए और ऐसा राजा चुनना चाहिए जो कट्टर हिंदुत्ववादी हो, चाहे राजनीतिक दल कोई भी हो।
धर्मांतरण पर बोले कालीचरण
छत्तीसगढ़ और देश भर में धर्मांतरण के सामने आ रहे मामलों की ओर इशारा करते हुए कालीचरण ने कहा कि देश की जाति व्यवस्था के कारण ऐसा हो रहा है। समाज के जिन वर्गों को मंदिरों में प्रवेश नहीं मिला, जिन्हें समाज ने प्रेम नहीं दिया, वे दूसरे धर्म को अपना रहे हैं। उनकी देखादेखी दूसरे लोग भी इसका अनुसरण कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जाति व्यवस्था खत्म कर सभी को सम्मान देने से इस समस्या का हल होगा। दो दिन से चल रहे इस धार्मिक आयोजन में देशभर से संत-महात्मा जुटे।
महंत रामसुंदर दास ने किया विरोध
राज्य गोसेवा आयोग के अध्यक्ष महंत रामसुंदर दास ने कालीचरण के बयान का खुले मंच से विरोध किया। उन्होंने कहा कि मैं इस कार्यक्रम से ताल्लुक नहीं रखता, हालांकि आयोजकों ने उन्हें मुख्य संरक्षक बनाया था। भड़के हुए लहजे में रामसुंदर दास ने कहा कि मंच से महात्मा गांधी को गाली दी गई है, हम इसका विरोध करते हैं। यह सनातन धर्म नहीं और ना ही धर्म संसद के मंच पर इस तरह की बात होनी होनी चाहिए। इतना कहकर महंत रामसुंदर दास मंच से उतर गए और तमतमाए हुए अंदाज में वापस दूधाधारी मठ लौट गए।
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