• Hindi News
  • Local
  • Chhattisgarh
  • Raipur
  • Shankaracharya Raised Questions On RSS Chief: Swami Avimukteshwranand Said God Said In Gita That He Created "Varna" So What Research Did Bhagwat Ji Do?

RSS प्रमुख पर शंकराचार्य ने उठाए सवाल:बोले- गीता में भगवान ने कहा कि वर्ण उन्होंने बनाए, भागवत जी ने कौन सा अनुसंधान कर लिया

रायपुर2 महीने पहले
  • कॉपी लिंक

समाज में वर्ण पंडितों ने बनाए। RSS प्रमुख मोहन भागवत के इस बयान पर अब शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने सवाल उठाया है। उन्होंने कहा- जब गीता जी में भगवान ने स्वयं कहा है कि वर्ण उन्होंने बनाए तो भागवत जी ने कौन से अनुसंधान के आधार पर यह बात कही है उन्हें बताना चाहिए।

रायपुर आए शंकराचार्य से मोहन भागवत के बयान को लेकर सवाल किया गया। इस पर उन्होंने कहा, 'उनका (मोहन भागवत का) बहुत लंबा सामाजिक जीवन है, कुछ कहते होंगे तो जिम्मेदारी से कहते होंगे। अब हमको जब तक पता न चल जाए कि उन्होंने किस आधार पर इतनी बड़ी बात कह दी तब तक हम क्या बोलें। वे ऐसे व्यक्ति नहीं हैं कि वे कोई बात बोलें और हम डांट दें। भागवत जी बड़े आदमी हैं। हम समझते हैं कि जो कुछ कहेंगे जिम्मेदारी से कहेंगे। अब उन्होंने कौन सा ऐसा अनुसंधान कर लिया जिससे पता चल गया कि वर्ण पंडितों ने बनाया है।'

सरसंघचालक मोहन भागवत। फाइल फोटो
सरसंघचालक मोहन भागवत। फाइल फोटो

हिंदू राष्ट्र की मांग भी जुमलेबाजी
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने हिंदू राष्ट्र की मांग को भी गलत बताया। उन्होंने कहा, 'यह सब जुमलेबाजी है। जो लोग भी यह मांग उठा रहे हैं वह हिंदू राष्ट्र का खाका सामने क्यों नहीं रखते। हिंदू राष्ट्र होगा तो राजनीतिक व्यवस्था में क्या बदलेगा। इसका खाका सामने रखे बिना इस पर बात करना बेमानी है।

स्वामी करपात्री जी महाराज ने हिंदू राष्ट्र की मांग को गलत कहा था। उनका कहना था कि हिंदू राष्ट्र से कुछ नहीं होगा। कहने को तो रावण भी हिंदू था और कंस भी। एक ब्राह्मण था और एक क्षत्रिय, लेकिन उनका हिंदू राष्ट्र कभी किसी का आदर्श नहीं रहा। करपात्री जी रामराज्य की मांग करते थे। वह शासन का आदर्श है। जहां प्रजा सुखी है, सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव है। जहां का राजा प्रजा के प्रति समर्पित है। वह प्रजा हित में कुछ भी छोड़ने को तैयार है।'

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा- करपात्री जी रामराज्य की मांग करते थे। वह शासन का आदर्श है। जहां प्रजा सुखी है, सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव है।
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा- करपात्री जी रामराज्य की मांग करते थे। वह शासन का आदर्श है। जहां प्रजा सुखी है, सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव है।

संसद-विधानसभा में गेरुआ कपड़ा पहनने वाले धार्मिक लोग नहीं
शंकराचार्य ने कहा, 'धर्म का काम अलग है और राजनीति का काम अलग। जिस दिन से हम राजनीति में आ गए उस दिन से धर्माचार्य नहीं रहे। भले ही हम इसी तरह का कपड़ा पहनें। हालांकि, उनका गेरुआ कपड़ा उतरवा लेना चाहिए नियम के अनुसार।

चाहे भाजपा हो, कांग्रेस हो, सपा-बसपा हो, दक्षिण की पार्टियां हों, उत्तर की पार्टियां हों जो भी राजनीतिक दल के सदस्य के रूप में पंजीकृत हुआ वह धर्मनिरपेक्ष हो जाता है, क्योंकि राजनीतिक दलों ने रिटन में धर्मनिरपेक्षता की शपथ लेकर खुद को रजिस्टर कराया है। जो भी राजनीतिक पार्टी का सदस्य बन गया, वह धर्म निरपेक्ष हो गया।

ऐसे में एक ही साथ आप धार्मिक भी हो और धर्मनिरपेक्ष भी हो, दोनों नहीं हो सकते। अभी हम धार्मिक हैं क्योंकि किसी राजनीतिक दल से नहीं जुड़े हुए हैं। हम धर्म के मामले में बोल सकते हैं, लेकिन जैसे ही किसी राजनीतिक दल से जुड़े, हम धर्मनिरपेक्ष हो जाएंगे। अगर कोई महात्मा जैसा दिखने वाला व्यक्ति गेरुआ कपड़ा पहने संसद या विधानसभा में दिख रहा हो तो यह मत समझिए कि वह धार्मिक है।'

रामचरित मानस पर विवाद, भेद डालकर वोट लेने की साजिश
शंकराचार्य ने कहा, हमारे राजनेता अपने वोट के लिए कुछ भी कर सकते हैं... जिस धर्मग्रंथ पर पूरा भारत आस्था रखता है। गांव-गांव में मंच लगा हुआ है वहां रामचरित मानस कही-सुनी जा रही है। आज की तारीख में भारत में सबसे अधिक किसी ग्रंथ को पढ़ा या सुना जाता है अथवा उसकी व्याख्या होती है तो वह रामचरित मानस है। उस मानस की प्रतियों को आप फाड़ रहे हो, जला रहे हो, पैरों से कुचल रहे हो- यह अच्छा नहीं है।

मेरा कहना है कि आप राजनीतिक कारणों से दो वर्ग पैदा कर रहे हो। एक वर्ग को अपने में मिला लोगे तो आपके वोट बढ़ जाएंगे-आपको सत्ता मिल जाएगी। आपको सत्ता मिले हमें क्या बाधा है, लेकिन यह तरीका अपनाकर आप सत्ता लोगे जिससे समाज दो फाड़ हाे जाए?

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा- अगर कोई महात्मा जैसा दिखने वाला व्यक्ति गेरुआ कपड़ा पहने संसद या विधानसभा में दिख रहा हो तो यह मत समझिए कि वह धार्मिक है।
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा- अगर कोई महात्मा जैसा दिखने वाला व्यक्ति गेरुआ कपड़ा पहने संसद या विधानसभा में दिख रहा हो तो यह मत समझिए कि वह धार्मिक है।

नफरती लोगों को राजनीति से रोके चुनाव आयोग
शंकराचार्य ने कहा कि चुनाव आयोग में पंजीकृत किसी राजनीतिक दल का सदस्य अगर भारत के नागरिकों में भेद डालने वाले बयान दे रहा हो या ऐसा कोई कार्यक्रम कर रहा हो तो चुनाव आयोग को संज्ञान लेने की जरूरत है। चुनाव आयोग ऐसे राजनेताओं को राजनीति करने और चुनाव लड़ने से रोके। अगर ये सरकार में पहुंच जाते हैं तो क्या सबको एक नजर से देख पाएंगे। नहीं देख पाएंगे।

धर्मनिरपेक्षता की शपथ लेकर नेता-अफसर मंदिरों के प्रबंधक बन बैठे
शंकराचार्य ने कहा, 'अब राजनेता संतों-महंतों का काम भी खुद करने लगे हैं। अब राजनेता धार्मिक ग्रंथों के बारे में बयान दे रहे हैं। अब राजनेता मंदिर बनाने के लिए शिलान्यास कर रहे हैं। अब राजनेता वह हर काम कर रहे हैं जो एक धर्माचार्य को करना चाहिए। सवाल यह है कि धर्माचार्य का काम धर्माचार्य को क्यों नहीं करना चाहिए। भारत की सरकार में जो बैठता है वह संविधान की शपथ लेता है। संविधान कहता है कि हम धर्म निरपेक्ष हैं। जब आप धर्म निरपेक्ष हो तो धर्म स्थान का प्रबंधन आप कैसे कर रहे हैं।'

शालिग्राम शिला की शोभायात्रा निकालने और उसकी प्रतिमा बनाने के लिए छिड़े विवाद में शंकराचार्य ने कहा कि राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट जल्दबाजी में व्यवस्था तोड़ रहा है।
शालिग्राम शिला की शोभायात्रा निकालने और उसकी प्रतिमा बनाने के लिए छिड़े विवाद में शंकराचार्य ने कहा कि राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट जल्दबाजी में व्यवस्था तोड़ रहा है।

धर्माचार्यों को भी राज्यसभा में मनोनीत करने की मांग
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, 'राज्यसभा में क्रिकेटर चले गए, अभिनेता चले गए, लेकिन धर्म के क्षेत्र से किसी का चयन नहीं हुआ। धर्म के क्षेत्र से कोई पॉलिटिक्स कर रहा हो वह अलग है, लेकिन यह कहकर कि भले ही राजनीति से इनका कुछ लेना-देना न हो, लेकिन धर्म के क्षेत्र से आए हैं जिसका समाज में बहुत बड़ा योगदान है, इसलिए हम इनको यहां ले रहे हैं। जो धार्मिक लोग दिन-रात लोगों को जोड़ने के काम में लगे हुए हैं। ऐसे धार्मिक व्यक्ति कभी भी तोड़ने का काम नहीं करते।'

जल्दबाजी में व्यवस्था तोड़ रहा है राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट
शालिग्राम शिला की शोभायात्रा निकालने और उसकी प्रतिमा बनाने को लेकर छिड़े विवाद में शंकराचार्य ने कहा कि राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट जल्दबाजी में व्यवस्था तोड़ रहा है। उन्होंने कहा, 'आपने पहले बता दिया कि यह शालिग्राम शिला है। शालिग्राम शिला की हम लोग पूजा करते हैं। अब पूजा करने की चीज पर आप छैनी-हथौड़ी चलाओगे तो किसे स्वीकार होगा।

गर्भ में बच्चा आता है तो पहले घरवालों को, फिर बाहर वालों को पता चलता है। उत्सव आदि मनाने लगते हैं, लेकिन जब तक आंख, नाक, कान, मुंह बन जाने तक वह बाहर नहीं आता। तब तक जनता उसे नहीं देख सकती। भगवान ने यह व्यवस्था बनाई है तो उसे हम क्यों नहीं स्वीकार कर लेते। हम भी उसी पत्थर से मूर्ति बना लेते। बाद में उसकी शोभायात्रा निकालते। तीन दिन में लाए-तीस दिन में लाते, लेकिन यह जल्दबाजी है कि हम लोगों को कुछ दिखा दें।

संघ प्रमुख ने कहा था- जाति पंडितों ने बनाई
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को संत रोहिदास जयंती पर मुंबई में हुए कार्यक्रम में कहा था कि जाति भगवान ने नहीं बनाई है, जाति पंडितों ने बनाई जो गलत है। भगवान के लिए हम सभी एक हैं। हमारे समाज को बांटकर पहले देश में आक्रमण हुए, फिर बाहर से आए लोगों ने इसका फायदा उठाया। मोहन भागवत ने क्या कुछ कहा था पढ़िए पूरी खबर