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रायपुर मेडिकल कॉलेज के डॉ. भीमराव आम्बेडकर अस्पताल में लापरवाही का बड़ा मामला आया है। वहां इलाज के लिए भर्ती हुई एक महिला को तीन महीने पहले एक्सपायर हो चुकी स्लाइन चढ़ा दी गई। इसकी वजह से महिला की हालत खराब हो गई। परिजन ने हंगामा किया तो नर्स ने केवल सॉरी कहकर बोतल बदल दी।
रायपुर की शंकर नगर निवासी 27 साल की महिला को प्रसूती के लिए मंगलवार शाम को जिला अस्पताल में भर्ती किया गया था। वहां उसकी जांच हुई तो पेट में सूजन, पीलिया पाया गया। अस्पताल में कोविड का रैपिड एंटीजन टेस्ट भी पॉजिटिव आया था। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए डॉक्टरों ने महिला को आम्बेडकर अस्पताल रेफर कर दिया। उसे आम्बेडकर अस्पताल के गाइनिक कोविड वार्ड में भर्ती किया गया। वहां भी रैपिड एंटीजन टेस्ट पॉजिटिव आया।
बुधवार सुबह महिला ने सामान्य प्रसव से बच्चे को जन्म दिया। डॉक्टरों के मुताबिक बच्चा जीवित था, लेकिन उसकी हालत बेहद नाजुक थी। तमाम कोशिशों के बाद भी आधे घंटे में बच्चे ने दम तोड़ दिया। उसके बाद महिला को दूसरे वार्ड में शिफ्ट किया गया। रात में उसे स्लाइन चढ़ाई गई। गुरुवार सुबह बोतल खत्म हुई तो दूसरी बोतल लगाई गई।
इसी बीच महिला के पति अभिषेक मजूमदार की नजर बोतल पर लिखी मैन्यूफेक्चर और एक्सपायर डेट पर पड़ गई। वहां पड़ी तारीख के मुताबिक वह स्लाइन अक्टूबर 2020 में एक्सपायर हो चुकी थी। उसके बाद उन्होंने रात में चढ़ाकर खाली हुई दूसरी बोतल को भी ध्यान से देखा उसपर भी वही एक्सपायरी तिथि थी।
आपत्ति जताई तो मिली केवल सॉरी
महिला के पति और दूसरे परिजन ने इस लापरवाही की शिकायत की। आपत्ति जताई तो वहां मौजूद नर्स ने सॉरी कहते हुए बोतल बदल दिया। इस बीच महिला के शरीर में सूजन आ गया। घबराए परिजन बेहतर इलाज के लिए अब उसे एक निजी अस्पताल में ले गए हैं। मरीज की स्थिति अभी भी नाजुक बनी हुई है।
RT-PCR में निगेटिव आई रिपोर्ट
आम्बेडकर अस्पताल में कोरोना टेस्ट के समय मंगलवार रात मरीज का एंटीजन और RT-PCR टेस्ट हुआ था। एटीजन टेस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। RT-PCR टेस्ट के लिए नमूना मेडिकल कॉलेज भेजा गया था। आज उस टेस्ट की रिपोर्ट निगेटिव आई है।
प्रबंधन बोलने को तैयार नहीं
इस मामले में अस्पताल प्रबंधन से कोई आधिकारिक जवाब नहीं मिल रहा है। एक डॉक्टर ने बताया, जिस नर्स ने स्लाइन लगाई थी उससे पूछताछ हुई है। उसने बताया- पीपीई किट की वजह से धुंधला दिख रहा था। ऐसे में एक्सपायरी डेट नहीं देख पाई। लेकिन, अस्पताल के पास इसका जवाब नहीं है कि तीन महीने पहले एक्सपायर दवा उनके पास कैसे पड़ी रह गई।
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