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छत्तीसगढ़ में बोवनी पिछड़ी:अब तक 26.2 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई खरीफ की बुवाई, पिछले साल29.24 लाख हेक्टेयर बोया जा चुका था

रायपुर8 महीने पहले
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छत्तीसगढ़ में खेती का बड़ा हिस्सा अच्छी बरसात पर निर्भर करता है। बरसात नहीं होने से फसल प्रभावित होती है। - Dainik Bhaskar
छत्तीसगढ़ में खेती का बड़ा हिस्सा अच्छी बरसात पर निर्भर करता है। बरसात नहीं होने से फसल प्रभावित होती है।

देर से बरसात शुरू होने की वजह से छत्तीसगढ़ में खरीफ के फसलों की बोवनी पिछड़ गई है। प्रदेश में अभी तक 26 लाख दो हजार हेक्टेयर खेतों में ही फसल बोई जा सकी है। यह कुल रकबे का कुल 54% ही है। यह इसलिए भी पिछड़ा दिख रहा है कि पिछले साल इसी समय तक 29 लाख 24 हजार हेक्टेयर खेत में फसल बोई जा चुकी थी।

कृषि विभाग ने बताया, राज्य के 26 लाख 02 हजार हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुआई हो चुकी है। इसमें सर्वाधिक 21 लाख 87 हजार हेक्टेयर में धान की बोवनी हुई है। इसके 1 लाख 61 हजार हेक्टेयर में मोटा अनाज, 1 लाख 5 हजार हेक्टेयर में दलहन, 74 हजार हेक्टेयर में तिलहन और 76 हजार हेक्टेयर में सब्जी एवं अन्य फसलों की बुवाई हो पाई है।

मक्का की 3 लाख 14 हजार हेक्टेयर में तथा अन्य फसलों की 1 लाख 46 हजार हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है। दलहन फसलों के अंतर्गत 70 हजार हेक्टेयर में अरहर, 29 हजार हेक्टेयर में उड़द तथा 5 हजार हेक्टेयर में दूसरी दलहनी फसले लगाई जा चुकी हैं। इसी तरह 36 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन, 32 हजार हेक्टेयर में मूंगफली तथा 5 हजार हेक्टेयर में अन्य तिलहनी फसलों को बोया गया है।

48.20 लाख हेक्टेयर में होनी है बोवनी

कृषि विभाग ने खरीफ सीजन 2022 में कुल 48 लाख 20 हजार हेक्टेयर में बुआई का लक्ष्य तय किया है। योजना है कि 33 लाख 61 हजार हेक्टेयर में धान, 3 लाख 14 हजार हेक्टेयर में मक्का, 1 लाख 46 हजार हेक्टेयर में अनाज की अन्य फसलें बोई जाएंगी। वहीं 1 लाख 70 हजार हेक्टेयर में अरहर, 2 लाख 10 हजार हेक्टेयर में उड़द बोया जाना है। इस सीजन में 70 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन, 72 हजार हेक्टेयर मूंगफली, 1 लाख 26 हजार हेक्टेयर में तिलहन की अन्य फसलें लगाने की तैयारी है। विभाग ने 2 लाख 83 हजार हेक्टेयर में साग-सब्जी एवं वैसी ही फसलों की बुआई का लक्ष्य तय किया है।

समय से मानसून आया, लेकिन बरसा देर से

मौसम विभाग के मुताबिक 19 जुलाई तक 460.5 मिलीमीटर की बरसात हो चुकी है। यह प्रदेश की औसत सामान्य बरसात 418.6 मिमी से 10% ज्यादा है। प्रदेश में मानसून की पुष्टि 15-16 जून को हुई थी। पूरे जून बेहद कम बरसात हुई। इसकी वजह से मैदानी क्षेत्रों में बोवनी प्रभावित हुई। जुलाई के पहले सप्ताह के बाद बरसात ने तेजी पकड़ी। इसके बावजूद भी प्रदेश के सात जिले बरसात की कमी से जूझ रहे हैं। उत्तर के तीन जिलाें जशपुर, बलरामपुर और सरगुजा में तो 67-68% तक कम पानी गिरा है। रायपुर जिले में भी 27% बरसात कम हुई है।