खैरागढ़ स्थित इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में स्टूडेंट्स ने अपनी खुशी अलग अंदाज में जाहिर की। स्टूडंेटस ने यहां सोमवार कर शाम देवार नृत्य, बस्तरिहा कर्मा और ददरिया गीतों की प्रस्तुति दी। ये खुशी है संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार की। युनिवर्सिटी की कुलपति पद्मश्री डॉ. मोक्षदा ममता चंद्राकर और इसी विश्वविद्यालय के गायन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. दिवाकर कश्यप को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार मिल रहा है।
इसकी खुशी संगीत विश्वविद्यालय के स्टूडेंट ने जाहिर की। सोमवार की शाम यहां कला चौपाल का आयोजन किया गया। प्रदेश की संस्कृति को दिखाते हुए यहां स्टूडेंट्स ने फोक डांस और फोक सॉन्ग परफॉर्म किए। स्टूडेंट और युनिवर्सिटी के प्रोफेसर्स की मौजूदगी में कुलपति डॉ चंद्राकर का सम्मान किया गया। डीन डॉ. योगेंद्र चौबे ने कहा कि विद्यार्थियों को कुलपति से सीख लेनी चाहिए।
संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार की घोषणा के बाद पहली बार स्टूडेंट्स को संबोधित कर रहीं कुलपति डॉ ममता चंद्राकर ने अपनी उपलब्धि का श्रेय माता-पिता, परिवार, छत्तीसगढ़ के समस्त दर्शकों और श्रोताओं को दिया। उन्होंने कहा कि मैं इस पुरस्कार को अपने दिवंगत भाई और आल इंडिया रेडियो के सुप्रसिद्ध एनाउंसर रहे स्व. लाल रामकुमार सिंह को समर्पित करती हूँ। यह संयोग है कि स्व लाल रामकुमार सिंह जिस खैरागढ़ की धरती के निवासी थे, उसी धरती पर कला-संगीत की सेवा करते हुए मुझे यह पुरस्कार मिलने जा रहा है।
कुलपति ने लोकसंगीत विभाग द्वारा शुरू किये गए कला चौपाल की प्रशंसा की। उन्होंने विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों से अपील की, कि वे सपने देखें, सपनों को पूरा करने के लिए जी-तोड़ मेहनत करें। उन्होंने कहा कि परफार्मिंग आर्टिस्ट के भीतर कभी-कभी भय का होना ज़रूरी होता है, इससे अति आत्मविश्वास से बचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि परफार्मिंग आर्टिस्ट को अपना आत्मविश्वास बनाये रखने के लिए लगातार अभ्यास करना चाहिए।
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