रायपुर में आयोजित धर्म संसद में गांधीजी का अपमान करने वाले महाराष्ट्र के संत कालीचरण पर रायपुर में FIR दर्ज हो गई है। खास बात यह है कि जिन कालीचरण को कांग्रेसी धर्म संसद में हाथ जोड़कर प्रणाम कर रहे थे, बाद में वही उनके खिलाफ FIR करवाने पहुंच गए। पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष मोहन मरकाम ने 'ढोंगी बाबा हाय..हाय..' के नारे लगाए।
संत कालीचरण को IPC की गैर जमानती धारा 505 (2) के तहत शांति भंग करने के मकसद से आपत्तिजनक बयान देने, समुदायों के प्रति नफरत पैदा करने और धारा 294 के तहत अश्लील गाली गलौज करने का आरोपी बनाया गया है। सिविल लाइंस के CSP वीरेंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि मोहन मरकाम के आवेदन को कार्रवाई के लिए थाने भेज दिया गया है। इधर विवादित बयान देने के फौरन बाद कालीचरण महाराष्ट्र रवाना हो गए।
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कांग्रेस ने कहा- गांधी का अपमान, देश का अपमान संत कालीचरण पर FIR कराने पहुंचे कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष मरकाम ने कहा कि गांधी का अपमान देश का अपमान है। रविवार देर रात सिविल लाइंस थाने में दो दर्जन कांग्रेसियों के साथ पहुंचे नगर निगम सभापति प्रमोद दुबे के आवेदन के आधार पर टिकरापारा थाने में केस दर्ज किया गया।
इस वजह से केस दर्ज
रायपुर में दो दिन चली धर्म संसद का रविवार को समापन कार्यक्रम हुआ। रावणभाटा मैदान में आयोजित इस कार्यक्रम में मध्य प्रदेश में भोपाल के पास भोजपुर मंदिर में शिव तांडव स्रोत गाकर मशहूर हुए संत कालीचरण को भी बुलाया गया था। कालीचरण ने मंच पर आकर पहले शिव तांडव स्रोत सुनाया। कुछ देर वे धर्म और हिंदुत्व पर अपनी बात रखने लगे।
कालीचरण ने कहा कि इस्लाम का मकसद राजनीतिक तौर पर राष्ट्र पर कब्जा करना है। सन 1947 में हमने देखा है। मोहन दास करमचंद गांधी ने देश का सत्यानाश किया, नमस्कार है नाथूराम गोडसे को जिन्होंने उन्हें मार दिया। मंच से जब कालीचरण ने यह बात कही, तो भीड़ ने तालियां बजाईं, जय श्री राम के नारे भी लगाए।
महंत रामसुंदर दास को आया गुस्सा
कालीचरण गांधी के खिलाफ ये बातें कहकर चले गए। मंच पर मौजूद कांग्रेस समर्थक माने जाने वाले रायपुर के ही संत और गौसेवा आयोग के अध्यक्ष महंत रामसुंदर दास को गुस्सा आ गया। उन्होंने माइक पर नीलकंठ त्रिपाठी को लताड़ते हुए कहा कि यही है धर्म संसद, मेरे नाम का इस्तेमाल क्यों किया गया, अपनी मनमानी ही करनी थी तो मुझे क्यों बुलाया। मैं खुद को इस कार्यक्रम से पृथक करता हूं। इतना कहकर महंत स्टेज से उतर गए और गुस्से में दूधाधारी मठ लौट गए। दूसरे संत हंगामा करने लगे, मीडिया से बात करने पर एक दूसरे को टोकते रहे।
NCP, कांग्रेस और भाजपा से जुड़े हैं आयोजक
इस धर्म संसद का आयोजन 25 दिसंबर को हुआ था। इसका आयोजन नीलकंठ सेवा संस्थान के संस्थापक पं नीलकंठ त्रिपाठी ने करवाया जो खुद NCP नेता भी हैं। मुख्य संरक्षकों में महंत रामसुंदर दास, विधायक बृजमोहन अग्रवाल, विधायक विकास उपाध्याय, निगम सभापति प्रमोद दुबे, विधायक सत्य नारायण शर्मा थे। संरक्षकों में IAS (रिटा.) भाजपा नेता गणेश शंकर मिश्रा, पार्षद ज्ञानेश शर्मा थे। धर्म संसद के पहले दिन कार्यक्रम में पूर्व CM डॉ रमन सिंह शामिल हुए, आखिरी दिन CM भूपेश बघेल भी आने वाले थे लेकिन उनका आना अचानक रद्द हो गया।
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