छत्तीसगढ़ राज्य के अस्तित्व में आने के बाद से 22 सालों में पशुपालन विभाग का विभागीय सेटअप नहीं बनाया गया। इस कारण विभाग के डॉक्टरों व अन्य स्टाफ का वेतनमान और पदोन्नति प्रभावित हो रहे हैं। वर्तमान में विभाग में 2229 सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारियों के विरुद्ध 936 ही सेवा दे रहे हैं। वर्तमान सेटअप में अपर संचालक से लेकर वैक्सीनेटर, पट्टी बांधने वाले, प्रयोगशाला परिचालक व चतुर्थ श्रेणी तक 7471 पदों में से 2695 पद खाली हैं। लगातार अधिकारी - कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं। ताला लगाने खोलने व झाड़ू लगाने वालों के 1472 पद खाली हैं।
जानकारी के अनुसार ज्यादातर पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारियों के पास 2 से 3 संस्थाओं का प्रभार है। लगभग 8 साल से सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारियों की वैकेंसी भी नहीं निकाली गई है। स्टाफ की कमी की वजह से किसानों के पालतू पशुओं और शहरों में पालतू जानवरों के इलाज प्रभावित हो रहे हैं। लोगों के निजी चिकित्सकों की भी सेवाएं लेनी पड़ती हैं।
जानकारों के मुताबिक विभाग में एक संवर्ग पशु चिकित्सा सहायक शल्य का पद है। विभाग ने सभी नियमों को ताक पर रखकर इनकी सेवानिवृत्ति की आयु 62 से बढ़ाकर 65 कर दी। जबकि केवल उन्हीं पशु चिकित्सकों की आयु 65 वर्ष करनी थी, जो यूजीसी के तहत महाविद्यालयों में प्रोफेसर हैं। विभागीय स्टाफ का मानना है कि यह गंभीर वित्तीय घोटाले की श्रेणी में आता है। इसकी जांच होनी चाहिए। सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी संवर्ग को मृत कैडर की ओर ले जाने के लिए भर्ती बंद कर दी गई है। यह भी जांच का विषय है। वेटेनरी डॉक्टरों संवर्ग के साथ धोखाधड़ी कर पॉलिटेक्निक कालेज में मैटेरिया मेडिका एवं एनाटॉमी को शामिल नहीं किया गया है। सरकार लगातार गौठान बना रही है। इसमें हजारों घूमंतू पशुओं को रखा जा रहा है। वहां भी पशुओं के बीमार पड़ने पर वेटेरनरी स्टाफ की जरूरत होती है।
856 पद खाली,1500 डिग्रीधारी बेरोजगार घूम रहे
प्रदेश में तीन पॉलिटेक्निक कालेजों में सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी के पद के कोर्स की पढ़ाई होती है। इसके प्रदेश में 856 पद खाली हैं। जबकि तीन बैचों में पढ़ाई पूरी करके 1500 डिग्रीधारी निकल चुके हैं। वे बेरोजगार घूम रहे हैं। इन पॉलीटेक्निकों के प्रारंभ होने के बाद से शासन ने भर्ती ही नहीं की है। सभी छत्तीसगढ़ के मूल निवासी हैं, क्योंकि इन पालिटेक्निक में मूल छत्तीसगढ़िया को ही प्रवेश मिलता है। विभाग में डाक्टरों की भर्ती होने से लगभग सभी पद भरे हैं। जबकि संयुक्त संचालक के 6 में से 3, अपर संचालक के 2 में से एक, उप संचालक के 32 में 9 पद चार साल से खाली हैं।
पशु पालन विभाग के संचालक चंदन त्रिपाठी ने बताया कि वेटरनरी विभाग का सेटअप बनाने पर फिलहाल विचार नहीं और न प्रस्ताव है। तकलीफें दूर करने डॉक्टर की भर्ती की है। 150 एवीएफओ और 100 प्यून की भर्ती का प्रस्ताव व्यापम को भेजा है। गौठनों में नोडल अफसर विजिट करते रहते हैं।
ये काम हो रहे प्रभावित -
1.पशुओं का उपचार
2.विभिन्न रोगों का टीकाकरण
3.निकृष्ट मेल बच्चों (बछड़ों) का बधियाकरण
4.महत्वपूर्ण कृत्रिम गर्भाधान योजना
5.पशु प्रबंधन के लिए कृमि नाशक दवापान
6.परजीवी नाशक दवाओं का छिड़काव
7. व्यक्तिमूलक योजनाओं के लाभ से पशुपालक वंचित
8-पोषण को लेकर पशुओं के खानपान की उचित सलाह न मिलना
9-पशुओं की पहचान का टैगिंग कार्य
प्रमुख पद जो रिक्त हैं
पद - मंजूर - कार्यरत - रिक्त
प्रथम श्रेणी - 49 - 32 - 17
द्वतीय श्रेणी - 766 - 637 - 129
तृतीय श्रेणी - 346 - 269 - 77
तृतीय श्रेणी - 305 - 161 - 144(अलिपीकीय व तकनीकी अलिपीकीय)
तृतीय श्रेणी - 2155 - 1299 - 856 (कार्यपालिक)
चतुर्थ श्रेणी - 2664 - 1864 - 500
चतुर्थ श्रेणी(आ.नि.) 1486 - 514 - 972
महायोग - 7471 - 4776 - 2695
पशु एक नजर में (लाख में)
पशु - संगणना 2003 - 2007 - 2012 - 2019
गाय - 88.81 - 94.91 - 98.13 - 99.84
भैंस - 15.98 - 16.05 - 13.90 - 11.75
बकरी - 23.36 - 27.68 - 32.25 - 40.06
भेड़ - 1.21 - 1.40 - 1.68 - 1.80
सूकर - 5.53 - 4.13 - 4.39 - 5.27
ये चाहते हैं कर्मचारी --
विभाग के अधिकारियों - कर्मचारियों के दायित्वों व कर्तव्यों का राजपत्र में प्रकाशन हो।
- सेवाकाल में पदोन्नति न मिलने पर तृतीय समयमान वेतनमान मंजूर किया जाए ।
- राज्य स्तर व संचालनालय स्तर पर पैरावट के रूप में हो पंजीयन ।
- अतिरिक्त संस्थाओं के प्रभार का बोझ कम करने डिप्लोमाधारियों हो सीधी भर्ती ।
- वर्तमान दायित्वों के अनुरूप प्रारंभिक वेतनमान का उन्नयन हो।
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