छत्तीसगढ़ की सियासत में बिहारी दांव:जोगी परिवार से अलग दल की मान्यता चाहते हैं दो विधायक, प्रमोद शर्मा चुनाव आयुक्त से मिल आए, देवव्रत बोले - विधानसभा अध्यक्ष को देंगे आवेदन

रायपुर2 वर्ष पहले
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छत्तीसगढ़ की राजनीति ने बिहार में लोक जन शक्ति पार्टी में हुए सत्ता संघर्ष से नया दांव सीखा है। इसी दांव से अब जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के दो विधायक पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी को मात देने की कोशिश कर रहे हैं। खैरागढ़ विधायक देवव्रत सिंह और बलौदाबाजार विधायक प्रमोद शर्मा विधानसभा में जोगी परिवार से अलग मान्यता लेने की कोशिश कर रहे हैं।

जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के संस्थापक अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जाेगी के निधन के बाद पार्टी बिखराव की ओर है। कई वरिष्ठ नेता पार्टी का साथ छोड़कर कांग्रेस में वापसी कर चुके हैं। कुछ का रुझान भाजपा की ओर बढ़ रहा है। इस बीच जनता कांग्रेस के दो विधायक देवव्रत सिंह और प्रमोद शर्मा तेजी से कांग्रेस के करीब हुए हैं। उनके रुख को देखकर पार्टी ने उन्हें कोर ग्रुप सहित सभी रणनीतिक समूहों से बाहर कर दिया है।

LJP के फॉर्मूले से हो सकता है
बिहार में लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन के बाद उनके बेटे को किनारे कर पार्टी पर कब्जा करने का दांव रामविलास के भाई पशुपतिनाथ पारस ने खेला है, इन दोनों विधायकों को उससे कुछ उम्मीद दिखने लगी है। विधायक प्रमोद शर्मा पिछले दिनों दिल्ली जाकर चुनाव आयुक्त से मिल आए। वहां उन्होंने अलग दल की मान्यता लेने की कोशिश की। इसके बाद चुनाव आयोग ने विधायक को सुझाव दिया कि ऐसा एलजेपी फॉर्मूले से ही हो सकता है। आप विधानसभा अध्यक्ष से मांग करें कि आपको अलग से मान्यता दें।

विधायक ने कहा-विधानसभा अध्यक्ष से निवेदन करेंगे
खैरागढ़ विधायक देवव्रत सिंह ने कहा, ‘विधानसभा का सत्र आहुत हो गया है। सत्र के बीच में मैं और प्रमोद शर्मा, विधानसभा अध्यक्ष से निवेदन करेंगे कि उनको अलग दल की मान्यता दे दी जाए।' 2018 के विधानसभा चुनाव में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के पांच विधायक चुनकर आए थे। मई 2020 में अजीत जोगी के निधन के बाद चार विधायक हैं। उनमें से अजीत जोगी की पत्नी रेणु जोगी पार्टी की केंद्रीय अध्यक्ष हैं और वरिष्ठ विधायक धर्मजीत सिंह विधानसभा में दल के नेता हैं।

पार्टी नेतृत्व पर लगाए भाजपा के साथ जाने का आरोप
देवव्रत सिंह ने पार्टी नेतृत्व पर भाजपा के साथ चले जाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि हम लोग अजीत जोगी को देखकर जनता कांग्रेस में शामिल हुए थे। उनके न रहने के बाद पार्टी नेतृत्व लगातार भाजपा की बी पार्टी बनने की कोशिश कर रहा है। हम लोगों ने मरवाही चुनाव में भी देखा कि कैसे पार्टी भाजपा के साथ चली गई। देवव्रत सिंह ने कहा, जिस तरीके से पार्टी चल रही है वह गलत तरीके से चल रही है। इसका संदेश भी गलत जा रहा है।

कांग्रेस सरकार की तारीफों का पुल बांधा
देवव्रत सिंह ने राज्य की कांग्रेस सरकार के तारीफों के पुल भी बांधे। उन्होंने कहा, पार्टी गठन के बाद जो संकल्प पत्र अजीत जोगी लेकर आए थे, जो जनता कांग्रेस का मूलमंत्र था, उसकी बातों पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने जोगी जी के रहते ही अमल करना शुरू कर दिया था। मुख्यमंत्री लगातार छत्तीसगढ़ के हित की बात कर रहे हैं। मुझे लगता है कि छत्तीसगढ़ बनने के बाद पहली बार यह एहसास हो रहा है कि यहां छत्तीसगढ़िया लोगों की सरकार है। यहां छत्तीसगढ़ के बारे में ही चर्चा हो रही है।

अमित जोगी ने बताया मुंगेरीलाल का सपना
जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने अपने दोनों विधायकों की इस कोशिश को मुंगेरीलाल का सपना बताया है। उन्होंने कहा, अलग दल बनाने के लिए दो से तीन होना या जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ से इस्तीफा देना पड़ेगा। मुंगेरीलाल के हसीन सपने देखने से कोई किसी को नहीं रोक सकता। हम न A टीम है न B टीम हैं। केवल C मतलब छत्तीसगढ़ियों की टीम बनने का, जोगी का अधूरा सपना पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री बोले- तोड़फोड़ की हमारी इच्छा नहीं
इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि हमारे पास तीन चौथाई से अधिक का बहुमत है। किसी पार्टी को तोड़ने की हमारी कोई इच्छा नहीं है। विधानसभा अध्यक्ष के सामने यदि प्रस्ताव रखें तो यह उन पर है कि वे किस तरह से व्यवस्था करते हैं। यदि उनके लिए अलग बैठने की व्यवस्था रहते हैं तो अध्यक्ष विचार करेंगे उनके लिए।

इस दांव पर क्या कहते हैं संसदीय विशेषज्ञ
छत्तीसगढ़ विधानसभा के सेवानिवृत्त प्रमुख सचिव और विधायी नियमों-प्रक्रियाओं के विशेषज्ञ देवेंद्र वर्मा का कहना है कि तकनीकी रूप से अलग दल की मान्यता के लिए चार सदस्यों वाले विधायक दल में से कम से कम तीन को एक साथ आना होगा। लोकसभा में लोक जन शक्ति पार्टी के साथ यही हुआ। छह में से पांच लोग एक साथ आए। अपना नया नेता चुना और लोकसभा अध्यक्ष ने उनको मान्यता दे दी। यहां अगर वे तीन लोग एक साथ आ जाएं तो ही वैसा हो सकता है। वैसे दोनों विधायक विधानसभा अध्यक्ष से अलग दल के रूप में मान्यता देने की मांग कर रहे हैं। अगर उनका दल इसे दलबदल बताता है तो उन्हें साबित करना होगा। लेकिन आज की परिस्थिति में जनता कांग्रेस भी नहीं चाहेगी कि विधानसभा में उनकी गिनती चार से घटकर दो हो जाए। दोनों विधायक भी इस्तीफा देने का जोखिम नहीं उठाना चाहेंगे।

क्या हुआ था लोक जनशक्ति पार्टी में
रामविलास पासवान के निधन के बाद उनके बेटे चिराग पासवान को पार्टी ने अपना नेता चुना था। पिछले महीने चिराग के चाचा पशुपति नाथ पारस ने तख्ता पलट कर दिया। 6 सांसदों में से चार ने उनका समर्थन कर लोकसभा अध्यक्ष को आवेदन दिया। लोकसभा अध्यक्ष ने पारस को संसदीय दल के नेता की मान्यता दे दी। चिराग संसद में अकेले पड़ गए। संगठन में भी अलग से चुनाव कराकर पारस लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए। चिराग सर्वोच्च न्यायालय गए, लेकिन वहां सुनवाई से तकनीकी आधार पर इन्कार कर दिया गया। एनडीए के घटक दल के रूप में पशुपति नाथ पारस अब केंद्र में मंत्री भी बन गए हैं।

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