तीन हफ्ते से चल रहा सिलगेर विवाद अब तूल पकड़ता जा रहा है। एक तरफ ग्रामीण सिलगेर कैंप के विरोध में डटे हुए हैं। ग्रामीणों ने साफ कर दिया है कि वे इसी तरह डटे रहेंगे। दूसरी तरफ सरकार भी पीछे हटने के मूड में नहीं है। सरकार ने साफ कर दिया है कि नक्सलियों की घेरेबंदी के लिए आने वाले समय में और कैंप बनाए जाएंगे। राज्य मंत्रिपरिषद के प्रवक्ता और कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि सिलगेर में कैंप बनाया जा रहा था।
वहां कौन लोग विरोध कर रहे हैं, यह स्पष्ट है। यह केवल सिलगेर का मामला नहीं है। आने वाले दिनों में हम उसके आगे के रास्ते में 6 और कैंप बनाने जा रहे हैं। उन इलाकों में नक्सल गतिविधियों पर मंत्री चौबे ने कहा कि झारखंड से कभी कभार कुछ नक्सली लोगों की दस्तक हो जाती है लेकिन उत्तर में अब नक्सली गतिविधियां पूर्णत: विराम की ओर है। कृषि मंत्री के बयान से साफ है कि सिलगेर में तनाव अभी खत्म नहीं होगा। इस बीच प्रदेश में सियासत भी तेज हो गई है। सिलगेर मुठभेड़ की जांच के लिए गठित बीजेपी की छह सदस्यीय जांच कमेटी को बासागुड़ा थाने में ही रोक दिया गया था। इस पर जांच दल के सदस्य दिनेश कश्यप ने कहा कि प्रजातंत्र में विरोध करना सबका अधिकार है लेकिन गोलियाें से भून देना गलत है। वहीं, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि जिस प्रकार से आज नक्सली दबाव बना रहे हैं। गांव वाले एक तरफ नक्सलियों तो दूसरी तरफ पुलिस की गोलियों से मारे जा रहे हैं। ऐसा सरकार की अस्पष्ट नीति के कारण हो रहा है।
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