गिधपुरी थाना अंतर्गत ग्राम कौआडीह निवासी किसान के खाते से एटीएम चोरी कर तीन महीने में 10 लाख 68 हजार रुपए निकालने वाले युवक को जेल भेजा गया है। थाना प्रभारी केके सोनी ने बताया कि शनिवार को किसान के रिश्तेदार आरोपी युवक राजेंद्र चंद्राकर ने अपराध कबूल कर लिया। उसने बताया कि बैंक से निकाली सारी रकम में से कुछ खर्च कर दिए और कुछ जुआ हार गया। टीआई ने बताया कि ग्राम कौआडीह का केदार चंद्राकर (80) संपन्न किसान है। जिला सहकारी बैंक ने लेनदेन के लिए बुजुर्ग को एटीएम जारी किया था, मगर उसे चलाना नहीं आता था इसलिए वह लिफाफे सहित एटीएम को सूटकेस में रख दिया था। तभी लेनदेन करने वाले किसान के भाई डोमार चंद्राकर की 22 फरवरी को मृत्यु हो गई।
इस दौरान उसके यहां अक्सर आने वाला पड़ोस का युवक और दूर का रिश्तेदार राजेंद्र चंद्राकर (30) पिता गणेश ने सूटकेस में रखे एटीएम व पासवर्ड को चोरी कर लिया। इसके बाद से वह 9 मार्च से 13 मई तक 3 महीने एटीएम से पैसा निकाल कर खर्च करता रहा। और मैसेज युवक के दोस्त और किसान के भतीजे सचिव खिलेंद्र चंद्राकर के मोबाइल पर आता रहा। सचिव ने मैसेज को फॉल्स समझ कर कभी ध्यान नहीं दिया, क्योंकि इतना पैसा उसके पास नहीं है और ना ही उसने पंचायत से निकाला है। उसने समझा कि गलती से कोई उसका मोबाइल नंबर किसी के खाते में जुड़ गया होगा।
ओटीपी बताते ही जवान के खाते से ठग ने निकाल लिए 1.13 लाख
लाॅकडाउन से मारपीट, हादसे व दूसरी तरह के क्राइम का ग्राफ नीचे तो गिरा लेकिन इस बीच ऑनलाइन ठगी के मामले बढ़ गए हैं। ठग लोगों के खाते से जमा रकम पलभर में ही उड़ा ले रहे हैं। ऐसे ही एक मामले में छुट्टी में अंबिकापुर नमनाकला अपने घर आए सीआईएसएफ के प्रधान आरक्षक मनोज कुमार सोनकर के खाते से ठग ने 1 लाख 13 हजार रुपए निकाल लिए। इसमें एक बार ओटीपी पूछा गया जबकि अन्य ट्रांजेक्शन में बिना ओटीपी आए ही खाते से ट्रांजेक्शन किया गया। डेढ़ महीने में बीते 20 दिनों के भीतर ऐसे 8 मामले हो चुके हैं। ऐसी घटनाओं में करीब 3 लाख से अधिक रकम ठगों ने निकाल लिए हैं। पुलिस भी इस तरह की क्राइम को लेकर परेशान हो गई है। कॉल डिटेल से ठगों के लोकेशन बिहार व पश्चिम बंगाल का पता चल रहा, लेकिन लॉकडाउन से पुलिस भी बाहर नहीं निकल पा रही है। पुलिस ने बताया कि मनोज कुमार की पोस्टिंग ओडिशा के राउरकेला में है। वे छुट्टी में घर आए हैं। घर का आरओ खराब होने से शुक्रवार को मनोज के मोबाइल से उसके पुत्र निखील ने गूगल से सर्विस सेंटर का नंबर लिया। उस नंबर पर अपनी कंपलेन भेज दी। इसके कुछ समय बाद उसी नंबर से फोन आया। खुद को आरओ सेंटर का कर्मचारी बताते हुए फोन करने वाले ने कहा कि आप के मोबाइल पर एक लिंक भेजा गया है। उसमें पूरी डिटेल भेज दें।
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