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ग्राम सिर्री में संगीतमयी श्रीराम कथा चल रही है। जगतगुरु रामानंदाचार्य संगीतमयी कथा सुना रहे है। भजन और गायन वेद की परंपरा है। इसको सुनने के लिए देवता भी लालयतित रहते है। भारतीय शास्त्रीय संगीत सामवेद है। ह्दय से मैं इसका समर्थन करता हूं। अमेरिका का संगीत राक्षसी होता है। शुक्रवार को उन्होंने राम विवाह की कथा सुनाते हुए कहा कि ब्रम्ह मिथिला पहुच गया। जनक कहते है उन्हें मेरे पुण्य लेकर अाया है। पुण्य का अभिमान नही करता हूं। ये मेरी बेटी की ताकत है। जब भी मैं बेटी को देखता हंू तो पुण्य दिखाई पड़ता है। बेटी ने ही भगवान से मिलाया है। ये भगवती सीता की शक्ति है। रामनंदाचार्य ने कहा कि अवध से प्रसन्न होकर भगवान राम विश्वामित्र के साथ मिथिला की ओर जा रहे थे। रास्ते में ऋषि पत्नी के ऊपर पैर रख कर उनका उद्धार करना पड़ा। जीवन में बड़ी से बड़ी चुनौती आए-जाए, प्रसन्नता नहीं छिन सकती है। व्यवहार से से मर्यादा चली जाए वहां प्रसन्नता चली जाती है। अहिल्या ऊपर चरण रखने पर भगवान राम पछतावा हुआ। बताया कि ऋषि लोगों के चरण छूते हैं। यहां पर चरण रखना पड़ गए हैं। उद्धार के लिए चरण रखवा दिए। तरीके और तो हो सकते है। जब चरणरज से चेतन्य अवस्था में आईं। उन्होंने ऋषि और भगवान के बीच हुई घटना बताई।
हर संभव को असंभव कर दे वही भगवान
श्रीरामकथा महोत्सव में जगतगुरु ने भगवान और भक्ति का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि हर संभव को असंभव कर दे वहीं भगवान और उनकी भक्ति है। पुराण की महिमा किसी की कथा सुनने पर समर्पण होता है। मन रूपी मिथिला में ही राम का दर्शन हो जाता है। मन को कथा में लगाना पड़ेगा। साधुसंतो को सम्मान मिलना चाहिए। शुक्रवार को आयोजित श्रीराम कथा में बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।
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