राष्ट्रसंत ललितप्रभ सागर जी महाराज ने शुक्रवार को जैन बगीचा प्रांगण में आयोजित तीन दिवसीय प्रवचन माला के समापन पर कहा कि अच्छे संस्कार आदमी को कभी भी अंधेरे की ओर नहीं जाने देते, हमेशा आदमी को उजाले की तरफ लेकर जाते हैं। जिंदगी में जितनी जरूरत शिक्षा की होती है, उतनी ही जरूरत संस्कारों की हुआ करती है। हम सबने यह पढ़ा और जाना है कि राम-कृष्ण-महावीर बचपन में गुरुकुल जाया करते थे, वहां उन्हें शिक्षा और दीक्षा दोनों दी जाती थी।
उन्होंने कहा कि जीवन में शिक्षा के साथ दीक्षा अर्थात् संस्कारों की महती आवश्यकता होती है। संस्कार ही वो पूंजी होती है जो आदमी के बुढ़ापे तक काम आती है, संस्कार वो पूंजी होती है जो उसके दादा-दादी के, माता-पिता के काम आती है। संस्कार वो पूंजी होती है जो आदमी के पग-पग पर काम आती है। बच्चों को बाद में कार दीजिए, पहले संस्कार दें तो जीवन भर घर परिवार सुखी रहेगा।
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