ऐसी मुनाफाखोरी शर्मनाक:मानपुर से जिला अस्पताल के बजाय प्राइवेट अस्पताल में भेज रहे मरीज, प्रसव के दौरान  एक साल में 9 महिलाओं की हो चुकी है मौत

राजनांदगांव6 महीने पहले
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इलाज के नाम पर मची है लूट... - Dainik Bhaskar
इलाज के नाम पर मची है लूट...

नक्सल प्रभावित क्षेत्र मानपुर में अस्पताल के सेटअप के लिए तमाम संसाधन तो लगा दिए गए लेकिन ग्रामीण यहां भी छले जा रहे हैं। यहां के ग्रामीणों की शिकायतों की मानें तो मानपुर अस्पताल से प्राइवेट में रेफर करने की वजह से ऐसे हालात वनांचल में पैदा हुए हैं। कायदे से जिला अस्पताल में गंभीर मरीजों को रेफर किया जाना चाहिए।

सोमवार को ही ऊंचापुर निवासी तारा बाई पति जागेश तुलावी ने प्रसव के दौरान दम तोड़ दिया। उन्हें रविवार को मानपुर के अस्पताल तो लाया गया था लेकिन वहां के स्टाफ ने स्थानीय प्राइवेट अस्पताल जाने कह दिया। जबकि विधिवत रूप से जिला अस्पताल या पेंड्री के मेडिकल कॉलेज में रेफर किया जाता तो प्रसूता की जान बच सकती थी।

अब तक साल भर में ऐसे मामलों में 9 महिलाओं की मौत हो चुकी है। बावजूद अब तक प्रशासन ने इस दिशा में फोकस कर कुछ ठोस कदम नहीं उठाए। यही वजह है कि वनांचल से ले देकर मानपुर तक पहुंचने वाले मरीजों को नुकसान झेलना पड़ रहा है। कोहका के दुरदशीन, पंचायत फड़की की अनिता, दोरदे के जनाय, मुंदेली की बिशोबाई, उमरपाल की घुमिनबाई के साथ कुछ ऐसा ही हुआ है।

एमएमसी जिले में 480 बच्चे मिले थे कुपोषित, अगस्त से सेंटर बंद पड़ा
घोड़ाझरी की शांतिबाई, भर्रीटोला की रम्मिता, फुलकोड़ा की कन्या उसारे और सिवनी की गंगोबाई के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। प्रसव के दौरान इनकी मौत हुई है। युवा कांग्रेस के अध्यक्ष मनीष निर्मल का कहना है कि यदि इस तरह की घटना हुई है तो मामले में जांच की जानी चाहिए। विधायक के संज्ञान में लाकर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की जाएगी। मोहला-मानपुर जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या 480 है। इनमें से 240 में से 45 को मोहला के एनआरसी में भर्ती कराया था। 19 डिस्चार्ज किए गए। मानपुर में ऐसे बच्चों की संख्या 240 है। अगस्त से पहले 9 बच्चों का ही इलाज हो पाया। अगस्त के बाद से सेंटर बंद पड़ा है।

एक ही ब्लॉक में पांच वर्ष तक के 85 बच्चों की मौत
गंभीर बात यह भी है कि पोषण देने के लिए बनाए जाने वाले पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) की स्थापना मानपुर में अब तक नहीं हो पाई। विभाग की मानें तो 18 अगस्त से मानपुर का यह सेंटर बंद पड़ा है। इसके लिए स्टाफ की भर्ती की स्वीकृति होने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग या जिला प्रशासन की ओर से भर्ती प्रक्रिया ही पूरी नहीं की गई। यह विषय इसलिए गंभीर है क्योंकि बीते एक वर्ष में पांच वर्ष तक के 85 बच्चों की मौत एक ही ब्लॉक में अलग-अलग कारणों से हुई है।

जिला अस्पताल रेफर करना है
मानपुर से यदि कोई गंभीर मरीज है तो उन्हें कायदे से जिला अस्पताल रेफर करना है। इस तरह की लापरवाही नहीं होनी चाहिए। यदि ऐसा है तो कार्रवाई की जाएगी। एनआरसी का संचालन पहले डीएमएफ से होता था। अब एनएचएम से स्वीकृति मिली है। फिर से इसका संचालन शुरू किया जाएगा।
एस जयवर्धन, कलेक्टर, मोहला-मानपुर-अं.चौकी