अखिल भारतीय आदिवासी महासभा की 11 सूत्री मांगों को लेकर 25 मई से सिलगेर से शुरू होने वाली 10 दिनी पदयात्रा को आखिरकार हाई कोर्ट से हरी झंडी मिल गई हैै। महासभा के संभागीय सचिव मनीष कुंजाम ने स्थानीय प्रेस क्लब भवन में बताया कि 24 अप्रैल को उन्होंने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर शांति पूर्ण तरीके से पदयात्रा करने जिला प्रशासन को लिखित आवेदन देकर अनुमति मांगी थी। 26 दिन बाद भी प्रशासन की तरफ से उन्हें किसी तरह का जवाब नहीं मिलने पर शुक्रवार को उन्होंने कलेक्टर से मुलाकात की।
कलेक्टर ने पदयात्रा की अनुमति के लिए पुलिस से अभिमत मांगने की बात कही। पदयात्रा को प्रशासनिक अनुमति नहीं मिलने के बाद उन्होंने बिलासपुर हाई कोर्ट में इसे लेकर याचिका दायर की थी। कुंजाम ने शांतिपूर्ण पदयात्रा को प्रशासनिक अनुमति नहीं दिए जाने पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा भाजपा के 15 साल की सरकार में उन्हें आंदोलन, प्रदर्शन व पदयात्रा के लिए प्रशासनिक अनुमति को लेकर कभी भी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ा।
सुकमा में 3 जून को जनसभा व रैली होगी
मनीष कुंजाम ने बताया कि 25 मई को सिलगेर में बड़ी संख्या में आदिवासी जुटेंगे। यहां आमसभा के बाद देर शाम तक कई तरह के कार्यक्रम कर मांगों के समर्थन में अपनी आवाज बुलंद करेंगे। 26 मई की सुबह 4-5 बजे पदयात्रा की शुरुआत होगी।
पदयात्रा दरभागुड़ा होते हुए जगरगुंडा पहुंचेेगी। जगरगुंडा में अगले दिन 27 मई को नरसापुरम होते हुए पदयात्रा चिंतलनार पहुंचेगी। यहां से पदयात्रा मुकरम, बुरकापाल, चिंतागुफा, पुसवाड़ा, कांकेरलंका, पोलमपल्ली से गुजरते हुए 31 मई को देवरपल्ली पहुंचेगी।
इन मांगों को लेकर महासभा करेगी पदयात्रा
मनीष कुंजाम ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी 11 सूत्रीय मांगों में पेसा कानून के प्रावधानों को प्रभावी ढंग से लागू करने एवं संगठन व व्यक्तियों द्वारा बनाए गए पेसा कानून के नियमों के प्रारुपों में बिना बदलाव किए हुए सरकार द्वारा मंजूर करने, बस्तर के जेलों में बंद निर्दोष आदिवासियों को रिहा किए जाने, ग्राम सभा के बिना अनुमति पुलिस व फोर्स के कैंप स्थापित नहीं किए जाने, सिलगेर समेत विभिन्न गांवों में मांगों को लेकर शांतिपूर्ण आंदोलन चल रहे हैं।
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