भोला पांडेय।फरीदाबाद
35वें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड मेले में देश-दुनिया से एक से बढ़कर एक शिल्पकार अपनी अनोखी कलाकृतियां लेकर आए हैं। देखने में सामान्य दिखने वाली इन आकर्षक कलाकृतियों की कीमत सुनकर हैरत में पड़ जाएंगे। इनकी कीमत लाखों में है। उड़ीसा के भुवनेश्वर से आए शिल्पकार उमेशचंद्र बेहरा ने ताड़ के पत्ते पर भगवान कृष्ण की विभिन्न लीलाओं का चित्रांकन किया है। इसकी कीमत 75 हजार रुपए है। श्रीनगर के शिल्पकार मुदस्सिर अहमद ने महज आधा किलो की पश्मीना शॉल को 14 महीने में तैयार किया है। इसकी कीमत पौने तीन लाख रुपए है। इसी तरह तमिलनाड़ के शिल्कार जैसूराज 1.20 लाख रुपए कीमत की आं अन्नपूर्णा माता की कलाकृति बनाई है।
पांच फिट लंबे ताड़ के पत्ते पर संपूर्ण कृष्ण लीला:
उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर से आए चित्रकार उमेशचंद्र बेहरा ने जंगलों से ताड़ के पत्ते लाकर उसे धागे से जोड़ा। फिर लोहे के नुकीले सूजे से भगवान कृष्ण के जन्म से लेकर कंस वध और अन्य लीलाओं का चित्रांकन किया। महज डेढ़ किलो के पत्ते पर की गई चित्रकारी की कीमत 75 हजार रुपए है। इसे सात महीने में बनाकर इन्होंने तैयार किया है। इस पटचित्र की लंबाई 5 फुट और चौड़ाई दो फुट है। वह 42 साल से शिल्पकारी कर रहे हैं। इनकी बनाई एक हजार पंखुड़ी पद्म की पटचित्र कला मुंबई एयरपोर्ट की शोभा बढ़ा रही है।
आधा किलो की पश्मीना शाॅल, कीमत 2.75 लाख:
श्रीनगर से आए नेशनल अवार्डी शिल्पकार मुदस्सिर अहमद लद्दाख से मानइस 10-12 डिग्री तापमान में पाए जाने वाली पश्मीना भेंड के ऊन से पश्मीना शाॅल व दुपट्टा बनाते हैं। आधा किलो का पश्मीना का दुपट्टा मेले का आकर्षण बना हुआ है। इसकी कीमत पौने तीन लाख रुपए है। इसे बनाने में 14 महीने लगे। सात पीढ़ी से वह इस कारेाबार में हॅै। खाड़ी देशों में इनके उत्पाद का निर्यात होता है। दिल्ली के एक बड़े राजनेता के परिवार को ये 20 लाख की जेंट्स का शॉल बेच चुके हैं।
1.20 लाख कीमत की अन्नपूर्णा माता की आकृति:
तमिलनाडु के शिल्पकार जैसूराजा ने तंजूर पेंटिंग से अन्नपूर्णा माता की कलाकृति बनाई है। इसे बनाने में करीब दो महीने का वक्त लगा। तीन फुट लंबी और दो फिट चौड़े आकार की यह तस्वीर बेहद आकर्षक है। चाक पाउडर, फेबिकोल को मिक्स करके कलाकृति को आकार दिया। सब्जी के रंग का प्रयोग कर उसे बेहद आकर्षक बना दिया। इसकी कीमत 1.20 लाख है।
Copyright © 2023-24 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.