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जिले के गांव तिगांव स्थित राजकीय महाविद्यालय का नाम बदलकर शहीद स्मारक राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कर दिया गया है। सरकार ने इस बारे में अधिसूचना भी जारी कर दी है। गांव वालों की मांग को देखते हुए सरकार ने शहीदों के सम्मान में यह फैसला लिया है।
इसके पहले भी महाविद्यालय का नाम शहीद स्मारक महाविद्यालय रखा गया था लेकिन बाद में यह राजनीति की भेंट चढ़ गया। योगाचार्य बलराम आर्य का कहना है कि इस गांव को हमेशा से वीरों का गांव कहा जाता रहा है। क्योंकि इस गांव के अनेक वीरों ने आजाद हिंद फौज में अपने प्राणों की आहुति दी थी। प्रथम विश्व युद्ध (1914-1919) में इस गांव के 185 जवानों ने लड़ाई लड़ी थी। इनमें से 31 जवान शहीद हो गए थे। इनका नाम गांव के ही सरकारी स्कूल में जीतगढ़ (गौरव पट्ट) पर अंकित है।
इसके बाद भी देश की रक्षा में जितने भी युद्ध हुए हैं उन सभी में गांव के अनेक जवान शहीद हुए हैं। आर्य के अनुसार इन शहीदों की शहादत को सम्मान देने के लिए तिगांव तथा क्षेत्र वासियों द्वारा शहीद स्मारक एजुकेशन सोसाइटी का गठन किया गया था। शहीदों की याद में 8 मार्च 1969 को शहीद स्मारक महाविद्यालय की आधारशिला तत्कालीन केंद्रीय मंत्री प्रो. शेर सिंह ने रखी थी। अप्रैल 1970 में प्रथम बार बीए की कक्षाएं प्रारंभ हुईं।
40 साल बाद बदला गया नाम
आर्य के अनुसार वर्षों से चल रहे महाविद्यालय का नाम बदलने के प्रयासों की कड़ी में प्राचार्य डॉ. ईश्वर कुमार ने सितंबर 2020 में महाविद्यलाय का नाम बदलवाने के लिए निदेशालय तथा स्थानीय विधायक राजेश नागर को पत्र लिखा था। शिक्षा विभाग एवं सरकार ने वर्षों से चल रही क्षेत्र की इस मांग को पूरा करते हुए महाविद्यालय का नाम शहीद स्मारक राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय तिगांव कर दिया। प्राचार्य डॉ. ईश्वर प्रसाद के अनुसार वर्तमान में महाविद्यालय में बीए, बीकॉम, बीएससी, बीबीए, बीसीए, एमएससी, कम्प्यूटर साइंस, एमए राजनीति शास्त्र, एमए हिंदी सहित 8 कोर्स चल रहे हैं। यहां विद्यार्थियों की संख्या 1771 है।
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