जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में ग्लेशियर में दबने से शहीद हुए सिपाही सचिन डगर का पार्थिव शरीर मंगलवार दोपहर बाद उनके पैतृक गांव अलीपुर लाया गया। कुछ देर परिजनों के अतिंम दर्शन के बाद शहीद की अंतिम यात्रा निकली तो वहां मौजूद सैंकड़ों युवाओं की आंखों से छलक गए। गांव के पास स्थित मोक्ष स्थल पर सैन्य व राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। मुखाग्नि शहीद के भाई ने दी। सचिन पिछले छह साल से सेना में सेवा दे रहे थे और वे अविवाहित थे।
शहीद सचिन डागर की अंतिम यात्रा में आसपास गांव के काफी संख्या में लोग शामिल हुए। लोगों ने भारत माता के जयघोष के साथ-साथ जब तक सूरज चांद रहेगा, सचिन तेरा नाम रहेगा का जयघोष किया। कई युवा अंतिम यात्रा में तिरंगा लेकर शामिल हुए। वहीं गुड़गांव से भी सेना की टुकड़ी ने शहीद को सलामी दी।
सचिन जम्मू के कुपवाड़ा में तैनात थे। सचिन डागर साल 2015 में भारतीय सेना की आरआर बटालियन में भर्ती हुए थे। जबकि सचिन के बड़े भाई नितिन डागर भी सेना में क्लर्क हैं। वहीं उनके पिता हवा सिंह गांव में खेती-बाड़ी करते हैं मां वीणा घरेलू काम का संभालती हैं। पिता ने बताया कि उन्हें अपने बेटे की शहादत पर गर्व है। बताया कि दिसंबर में अपनी बहन की शादी में सचिन घर पर आया था। तीन जनवरी को वह वापस अपनी ड्यूटी पर चला गया। शहादत के एक दिन पहले उसने अपनी मां से वीडियो कॉल करके काफी देर बाद की थी। शाहिद सचिन के अध्यापक ने बताया कि सचिन काफी होशियार छात्र था। सेना में जाने के लिए शुरू से ही उसके हौसले बुलंद थे।
जिला प्रशासन की ओर से सोहना तहसीलदार ने शहीद सचिन के पार्थिव शरीर पर पुष्प चक्र अर्पित कर शहीद को नमन किया। इसके अलावा शहीद की बैटालियन से एक टुकड़ी पहुंची थी, जिसने राजकीय सम्मान के साथ शहीद की अंतेष्टि कराई। शहीद के अंतिम संस्कार में लोगों को गाइडलाइन का पालन करने के लिए सेना के जवानों ने निर्देश दिए।
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