इजरायल और फिलिस्तीन में हिंसा के लंबे चक्र के बाद हाल ही में सीजफायर हुआ है। पर क्या इस गतिरोध से कोई नई राह निकल पाएगी? ऐसे ही गतिरोध में बेटे को खो चुकी इजरायल की रॉबी डेमलिन और बेटी को खो चुके बासम अरामिन ने अपने बच्चों के हत्यारों को माफ कर दिया है।
उन्होंने ऐसे पैरेंट्स को जोड़कल पैरेंट्स सर्कल भी बनाया है, जिन्होंने बच्चों को युद्ध में खो दिया। इस समूह में इजरायल सेना के पूर्व जवान और फिलिस्तीन की ओर से लड़ चुके उग्रवादी शांति की राह तलाशने आ रहे हैं। शांति के इस अनूठे अभियान पर मीडिया प्लेटफॉर्म इन्क्वॉयरी से इन्होंने चर्चा की, पढ़िए मुख्य अंश...
इजरायल के पूर्व सैनिक भारत आए तो उनकी जिंदगी बदल गई, अब पूरी सेना भेजना चाहिए
मेरी बेटी 10 साल की थी। स्कूल के बाहर खड़ी थी, तभी उसे मार दिया गया। वो सेना में नहीं थी, न योद्धा। उसके हत्यारे को माफ कर दूं यह कैसे संभव है? पर हम इंसान हैं, इसलिए सोचते हैं। मैं 18 वर्ष के उस युवक से मिला। मैंने कहा कि तुम्हें माफ कर दिया। तुम परिस्थितियों के शिकार हो। तुमसे क्या बदला लूं। दो साल बाद उससे फिर मिला, तब वो बदल चुका था। उसे पछतावा था। यही मेरा बदला था। पैरेंट्स सर्कल के तहत इजरायल के पूर्व सैन्य अफसरों और पूर्व फिलिस्तीनी उग्रवादियों की बैठक रखी। उन्होंने माना कि पहली बार बिना बंदूक के वो सुरक्षित महसूस कर रहे थे। तह में गए तो पता चला कि इन अफसरों को कुछ दिन भारत भेजा था। यह बदलाव तभी आया। मैंने सुझाव दिया कि इजरायल की पूरी सेना को कुछ दिन भारत भेजना चाहिए ताकि वह हिंसा के बारे में न सोचे। भारत ने अहिंसा के बल पर ही शक्तिशाली गणराज्य को झुका दिया था। यह नीति सर्वश्रेष्ठ है। - बासम अरामिन (फिलिस्तीन)
शांति समर्थक परिवार से हूं, अश्वेत हत्यारों को माफ करने वाली श्वेत महिला से प्रभावित हुई
जब पता चला कि मेरे बेटे डेविड को फिलिस्तीनियों ने मार दिया, तो मैंने कहा कि उन्होंने डेविड को नहीं मारा बल्कि उसकी सैन्य वर्दी को मारा है। कोई डेविड को जानता तो क्यों मारता। मैंने बेटे के हत्यारे के परिवार को चिट्ठी लिखी। मैं दक्षिण अफ्रीका गई थी, वहां एक श्वेत महिला ने अपनी बेटी के हत्यारे अश्वेतों को माफ कर दिया था। मैं उससे प्रभावित हुई। मुझमें यह हिम्मत इसलिए आई कि मैं न्याय और शांति का समर्थन करने वाले परिवार से हूं। मेरे चाचा ने नेल्सन मंडेला की सुरक्षा की थी। मेरे चचेरे भाई गांधीजी के साथ पैदल डरबन से जोहानिसबर्ग गए थे। मुझे लगा कि जब मैं ऐसा सोच सकती हूं तो बाकी पैरेंट्स क्यों नहीं। इसलिए हमने इजरायल और फिलिस्तीन में पैरेंट्स सर्कल बनाया। दरअसल समस्या यह है कि हमने बच्चों को इतिहास से रूबरू ही नहीं करवाया। बस उन्हें बता दिया जाता है कि फिलिस्तीनी या इजरायली हमारे दुश्मन हैं। उन्हें खत्म करना है। - रॉबी डेमलिन (इजरायल)
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.