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शादी के इरादे से गलत तरीके से धर्म परिवर्तन के खिलाफ बनाए गए कानून को चुनौती वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जमीयत उलेमा ए हिंद को मामले में पक्षकार बनने की इजाजत दे दी है। इसके अलावा मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश काे भी पक्षकार बनाया गया है।
जमीयत उलेमा ए हिंद की ओर से कहा गया है कि इस कानून के कारण बड़ी संख्या में मुस्लिम गलत तरीके से प्रताड़ित किए जा रहे हैं और उन्हें भी मामले में सुना जाए और पक्षकार बनाया जाए। धर्मांतरण कानून के खिलाफ एनजीओ सिटिजंस फाॅर जस्टिस एंड पीस की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून की वैधता को परखने का फैसला किया था।
यूपी और उत्तराखंड के बाद मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में भी यह कानून अस्तित्व में आ गया है। एनजीओ के वकील सीयू सिंह ने कहा कि दाेनाें राज्याें ने भी धर्म परिवर्तन राेकने के लिए इस तरह का कानून बनाया है और उनकाे भी पक्षकार बनाया जाना चाहिए।
सीजेआई ने पूछा, आप कैसे पीड़ित हैं...
चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने सवाल किया कि आप कैसे इस मामले में पीड़ित हैं। आप मामले में पक्षकार बनने की योग्यता कैसे रखते हैं। जमीयत के वकील एजाज मकबूल ने कहा कि बड़ी संख्या में मुस्लिम इस कानून के कारण प्रताड़ित हो रहे हैं हम कोर्ट को सहयोग करना चाहते हैं पक्ष रखना चाहते हैं।
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