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सुप्रीम काेर्ट ने कहा है कि काेई भी व्यक्ति सरकारी या पंचायत की जमीन के कब्जे काे नियमित करने के दावे काे अपना अधिकार नहीं बता सकता। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की बेंच ने कहा है, ‘सरकारी या पंचायत की जमीन पर अवैध कब्जे का नियमितीकरण सरकार की नीति और नियमाें में तय शर्ताें के अनुसार ही हाे सकता है।
यदि ऐसा पाया गया कि नियमितीकरण की शर्तें पूरी नहीं की गई हैं, ताे सरकारी या पंचायत की जमीन पर ऐसे अवैध कब्जाधारक नियमितीकरण के पात्र नहीं माने जाएंगे।’ यह बेंच हरियाणा के साेनीपत जिले की गाेहाना तहसील के सरसद गांव के निवासियाें की याचिका पर सुनवाई कर रही है। इन लाेगाें ने पंचायत की जमीन पर कब्जा कर उस पर मकानाें का निर्माण कर लिया है।
हरियाणा सरकार ने वर्ष 2000 में अवैध कब्जे वाली पंचायत की जमीन काे बेचने की नीति बनाई थी। इसके अलावा उसने गांवाें की साझा जमीन से संबंधित कानून में भी बदलाव किया था। इसे 2008 में अधिसूचित किया गया। इसमें नियम 12(4) में ग्राम पंचायताें काे गैरखेतिहर जमीन काे गांव के उन निवासयाें काे बेचने का हक दिया गया जिन्हाेंने 31 मार्च 2000 या उससे पहले उस पर मकान बना लिए थे।
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