(अमित कुमार निरंजन) कोरोनावायरस जैसी परिस्थिति में दिल्ली-एनसीआर के छह स्कूली किशाेराें ने मिसाल पेश की है। इन्हाेंने वाॅट्सएप चैट-बोट तकनीक से एक सिस्टम तैयार किया है। इससे किराना दुकान से सामान लेने के लिए कोई चाहकर भी सोशल डिस्टेंसिंग का नियम नहीं तोड़ सकता है। यह उन लोगों के लिए ज्यादा कारगर है, जो संक्रमण के डर से घर से निकलने में परहेज कर रहे हैं। खासकर बुजुर्ग इसके जरिये राेजमर्रा का सामान खरीद रहे हैं। इससे किराना वाले को भी पता चलता है कि उसका कौन सा सामान ज्यादा बिक रहा है।
इस तकनीक की शुरुआत दिलचस्प तरीके से हुई। लॉकडाउन लगते ही कुछ किशोर एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर मिले थे। जब पीएम नरेंद्र मोदी ने सोशल डिस्टेंसिंग पर जोर दिया, ताे सबने भी इसी दिशा में कुछ करने की ठानी। कई लोगों से बात की। इस मंथन से निकल कर आया कि किराना दुकानाें पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन सबसे जरूरी है, क्योंकि यहां सबकाे सामान लेने आना ही है। इसके बाद स्टार्टअप कंपनी व्हाईक्यू (WhyQ) की नींव रखी गई। कंपनी के सीईओ जय रेलान 14 साल के हैं और अब 10वीं कक्षा में पहुंचे हैं। उन्होंने बताया, ‘टीम के सदस्याें जसराज पुरी, सारा कोठारी, तेजस मेहता, अदिति अग्रवाल और पृथ्वी ओक ने ऑनलाइन सॉफ्टवेयर की मदद से वाॅट्सएप चैट-बोट तैयार किया।’
जय बताते हैं, ‘इसकी अलगोरिदम ऐसी है कि दुकानदार काे यदि लगता है कि कि सोशल डिस्टेंसिंग नहीं हो पाएगी, ताे वह आपको दूसरा टाइम स्लॉट दे देगा। अभी दिल्ली के ग्रीन पार्क इलाके की आरडब्ल्यूए सोसायटी में 100 से ज्यादा ग्राहक और आधा दर्जन दुकानदार इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। तकनीक की ऑपरेशनल कॉस्ट करीब पांच हजार रुपए महीना है। इसके लिए फंड अपनी पॉकेटमनी और डोनेशन से जुटा रहे हैं।’
दुकानदार के बताए टाइम स्लॉट पर सामान ले सकते हैं
जय बताते हैं, "यह तकनीक वाॅट्सएप के जरिये चलती है। ग्राहक सामान बुक करता है। दुकानदार दाम बता देता है। ग्राहक को पेमेंट के लिए लिंक मिलती है। इसके बाद सामान लाने के लिए टाइम स्लॉट मिल जाता है। आप तय समय पर दुकान से सामान ला सकते हैं।'
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