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दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने कारतूस सप्लाई करने वाला एक गैंग पकड़ा है। इस सिलसिले में छह लोग गिरफ्तार किए गए हैं, जिनके पास से साढ़े चार हजार कारतूस और दो कारें बरामद की हैं। एक कारतूस डेढ़ सौ से दो सौ रुपए में बेचा जाता था।
आरोपियों की पहचान करनाल हरियाणा निवास रमेश कुमार, यूपी इटावा निवासी दीपांशु मिश्रा, रेवाड़ी हरियाणा निवास अमित राव, पानीपत किला निवासी इकराम, मुजफ्फरनगर यूपी निवास अकरम और सहारनपुर यूपी निवासी मनोज कुमार चौहान के तौर पर हुई है। ये आरोपी गन हाऊस की मिली भगत से कारतूसों की खेप ऑन डिमांड अलग अलग राज्यों के गैंगस्टर तक पहुंचाते थे।
स्पेशल सेल डीसीपी संजीव यादव ने बताया एक सूचना पर मुकुंदपुर फ्लाईओवर के पास ट्रेप लगाया गया था। दोपहर करीब बजे रमेश कुमार और दीपांशु मिश्रा अलग अलग गाड़ी से पहुंचे, जैसे ही रमेश ने दीपांशु को प्लास्टिक बैग हवाले किया पुलिस ने दोनों को पकड़ लिया। इनसे मौके पर चार हजार कारतूस मिले।
इनसे पूछताछ के आधार पर एक टीम जयपुर गई जहां से अमित राव को पकड़ा गया। 17 फरवरी को रमेश कुमार की निशानदेही पर हरियाणा में रेड की गई। पहले इकराम को पकड़ा। फिर अकरम को करनाल से दबोचा। जिसके पास से पांच सौ कारतूस मिले। इसके बाद पंचकूला हरियाणा में छापा मार मनोज कुमार को अरेस्ट किया गया। ये तीनों रमेश से कारतूस लेते थे।
सवा सौ रुपए का कारतूस खरीद ढाई सौ तक में बेच देते
आरोपियों से हुई पूछताछ में खुलासा हुआ दीपांशु मिश्रा ने मार्केटिंग में एमबीए कर रखी है। वह नोएडा की एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करता था। लॉकडाउन में दीपांशु की नौकरी छूट गई थी। इसके पिता का इटावा में गन हाऊस था। साल 2015 में उसके पिता की मौत हो गई थी, जिसके बाद से यह गन-हाऊस बंद पड़ा था।
दीपांशु रमेश के संपर्क में आया, जिसने उसे ज्यादा रुपए कमाने का लालच देकर इस धंधे में उतार दिया। वहीं दूसरे आरोपी अमित राव ने कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से एमबीए कर रखी है। वह कई नामी होटलों के साथ काम कर चुका है। इसके मामा भी अंबाला में गन हाऊस के मालिक थे। उनकी मौत हो चुकी है। ऐसे में अमित ने उनके नाम का लाइसेंस अपने नाम पर करवा लिया था।
रमेश कुमार ने इसे ग्रे मार्केट में अवैध तरीके से कारतूस बेचकर रातोंरात अमीर बनने के सपने दिखाए। वहीं अन्य दो आरोपी अकरम और इकराम सगे भाई हैं। दोनों कमीशन के आधार पर अलग अलग गन हाऊस में गन रिपेयर का काम करते थे। ये रमेश के संपर्क में आकर उससे कारतूस खरीदने लगे।
सवा सौ रुपए में खरीदे गए कारतूस को वे पानीपत, करनाल, मुजफ्फर नगर में दो सौ से ढाई सौ रुपए तक में बेच देते थे। वहीं आरोपी मनोज कुमार तिरुपति रोडवेज में कंडेक्टर है जिसे प्रतिमाह पगार पच्चीस हजार रुप मिलती थी। इसके पास पिस्टल का लाइसेंस है। वह भी बीते कई साल से इस धंधे का हिस्सा था। आरोपी रमेश कुमार पहले अंबाला गन हाऊस में काम करता था।
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