उत्तर-पश्चिम भारत में एक एंटी-साइक्लोनिक सर्कुलेशन बनने और नमी में पर्याप्त कमी के साथ ही मानसून-2021 ने वापसी की यात्रा शुरू कर दी है। मौसम विभाग के इतिहास में ये दूसरा मौका है जब मानसून इतनी देर से वापस लौट रहा है। दक्षिण-पश्चिम मानसून की वापसी की सामान्य तिथि 17 सितंबर है। इससे पहले 2019 में सबसे देरी से 9 अक्टूबर को मानसून की वापसी हुई थी। दक्षिण-पश्चिम मानसून-2021 पश्चिमी राजस्थान व उससे सटे गुजरात के कुछ हिस्सों से वापस लौटना शुरू हो गया।
मानसून की वापसी रेखा 6 अक्टूबर को बीकानेर, जोधपुर, जालोर, भुज से आगे निकल चुकी है। अगले 3 से 4 दिन के दौरान गुजरात, पूरे राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों से दक्षिण-पश्चिम मानसून की वापसी के लिए परिस्थितियां अनुकूल होती जा रही हैं।
इस बार मानसून ने 3 जून को केरल के तटों पर दस्तक दी और 99 फीसदी बारिश के साथ खत्म हुआ था। यह लगातार तीसरा साल है जब देश में सामान्य या सामान्य से अधिक वर्षा दर्ज की गई। 2019 और 2020 में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई थी। दक्षिण-पश्चिमी मानसून दो दिन की देरी से तीन जून को केरल पहुंचा था।
5 वर्षों में प. राजस्थान से मानसून की वापसी
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