आज अयोध्या में रामजन्म भूमि का शिलान्यास हो रहा है, जिससे देश भर में खुशी की लहर है। गुजरात के भावनगर में भी जश्न मनाया जा रहा है और इस जश्न के साक्षी बन रहे हैं भावनगर के वे कारसेवक, जो आज से 30 साल पहले अयोध्या रामजन्म भूमि पूजन करने अयोध्या पहुंचे थे। हालांकि, अयोध्या पहुंचने से पहले ही इन्हें आगरा में कैद कर लिया गया था। बाद में करीब 10 हजार हिंदुओं की भीड़ ने इन्हें आजादकरवाया था। इस दौरान उत्तरप्रदेश में मुलायम सिंह की सरकार थी।
25 सितंबर को लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में सोमनाथ से शुरू हुई थी अयोध्या यात्रा
भावनगर से अयोध्या जाने वाले कारसेवक किशोरभाई भट्ट बताते हैं कि अयोध्या यात्रा 25 सितंबर को लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में सोमनाथ से शुरू हुई थी। इसके लिए गुजरात भर से लोग अयोध्या पहुंचने की तैयारी कर रहे थे। हालांकि, हमें रोकने के लिए भावनगर में कर्फ्यू लगा दिया गया था। इसलिए हम लोग छिपते-छिपाते किसी तरह भावनगर रेलवे स्टेशन तक पहुंचे थे और यहां से आगरा। लेकिन आगरा पहुंचते ही हमें बंधक बनाकर वहां के इंटर ट्रेनिंग जैन कॉलेज में कैद कर दिया गया था, क्योंकि आगरा की जेल में जगह नहीं बची थी।
10 हजार लोगों की भीड़ पहुंची हमें आजाद करवाने
हमें कॉलेज के तीसरे माले पर स्थित एक हॉल में कैद कर दिया गया था। हमारे पास खाने-पीने तक को कुछ नहीं था। हम खिड़कियों से लोगों को आते-जाते देखते थे, लेकिन वहां के लोगों को हमारी गुजराती भाषा समझ में नहीं आती थी। इसलिए हमने हिंदी में चिट्ठी लिखकर नीचे फेंकी... चिट्ठी में लिखा - हम भाजपावाले हैं और गुजरात के भावनगर से आए हैं अयोध्या जाने के लिए। हमारी चिट्ठी लोगों तक पहुंची तो धीरे-धीरे नीचे लोग जमा होने लगे। इसके बाद कॉलेज के बाहर करीब 10 हजार लोगों की भीड़ जमा हो गई और वे हमें रिहा करने की मांग करने लगे। भीड़ का आक्रोश देख हमें आजाद कर दिया गया।
आगे के सफर के लिए हमें दो लग्जरी बसें भी दी गईं
अब हमारी मदद के लिए हजारों लोग जमा थे। हमें खाना-पीना देने के बाद लोगों ने हमारे आगे के सफर के लिए दो लग्जरी बसें भी उपलब्ध करवाईं। हालांकि, हमारे अयोध्या पहुंचने से पहले ही हमारी बसें हाईजैक कर ली गईं और बाद में हमें वापस लौटने के लिए कहा गया। ये बसें कारसेवकों ने ही चलाईं।
आठ कारसेवक अब जीवित नहीं
भावनगर से 1990 में अयोध्या जाने वाले 161 कारसेवकों में से अब 8 कारसेवक जीवित नहीं हैं। इनमें दिव्यकांतभाई गोधाणी, शैलेषभाई भट्ट, पोपटभाई गुजराती, शिवराज गोहिल, प्रवीणभाई गोहिल, भरत
व्यास, मनजी दादा और महावीरसिहं राणा का नाम शामिल है। इन्हें याद करते हुए अन्य साथी कहते हैं कि काश ये लोग आज होते तो आज अयोध्या में रामजन्म भूमि के शिलान्यास के साक्षी बनते।
मस्जिद का ढांचा टूटा तो भावनगर में सर्च वारंट निकला
कारसेवक किशोरभाई भट्ट बताते हैं कि अयोध्या में 1992 में बाबरी मस्जिद का ढांचा टूटते ही भावनगर में हम सभी 161 कारसेवकों के लिए सर्च वारंट जारी किया गया था। हममें से कई लोग अरेस्ट भी किए
गए थे। जिन्हें महीनों बाद रिहा किया गया था।
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