गुजरात की 'आप' पार्टी में आंतरिक कलह जारी है। कल दिग्गज लोकगायक विजय सुवाला के पार्टी से इस्तीफा देने के बाद अब सूरत के हीरा कारोबारी महेश सवानी ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। बता दें, ये दोनों ही करीब सात महीने पहले आप पार्टी में शामिल हुए थे। सवानी के फैसले से आप पार्टी में खलबली मच गई है। इसीलिए पार्टी के कई पार्षद और कार्यकर्ता उन्हें मनाने के लिए उनके कार्यालय ही पहुंच गए। इस दौरान कई कार्यकर्ता उनके पैरों में गिर गए तो कईयों ने धमकी दी कि अगर वे दोबारा पार्टी ज्वॉइन नहीं करेंगे तो कार्यकर्ता अनशन पर बैठ जाएंगे।
कार्यकर्ताओं की सवानी से अपील -
कार्यकर्ताओं ने सवानी से कहा कि आप हमसे राजनीति के लिए नहीं, बल्कि समाज सेवा के लिए जुड़ें। आप हमारी पार्टी के बड़े हैं और इस वजह से आपको हमारा मार्गदर्शन करना है। आप हमारे साथ फिर से काम कर सकते हैं। वहीं, विश्वास धर्मेंद्र भंडारी (नेता प्रतिपक्ष) ने कहा - मुझे पूरा विश्वास है कि महेश सवानी फिर से पार्टी में शामिल होंगे। महेश सवानी कहते हैं कि मैं राजनीति नहीं करना चाहता। मैंने समाज सेवा की है। हमने भी यही कहा कि हम भी राजनीति करने नहीं आए। हम भी सामाजिक कार्य करने आए हैं। हमारी अंतरात्मा कहती है कि सवानी एक बार फिर आम आदमी पार्टी में शामिल होंगे।
'आप' के बड़े नेताओं की मनमानी से हैं नाराज
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आम आदमी पार्टी गुजरात के अध्यक्ष गोपाल इटालिया और नेता मनोज सोरठिया की मनमानी से कई नेता नाराज चल रहे हैं। यहां तक कि प्रभारी गुलाब सिंह यादव से भी पार्टी के नेता नाराज़ चल रहे हैं। वैसे में पार्टी छोड़ने के अलावा उनके पास कोई चारा नहीं बचता है। हालांकि, पार्टी छोड़ने की वजह जब विजय सुवाडा से पूछी गई तो उन्होंने निजी वजह बताई थी और महेश सवानी ने सामाजिक सेवा करने के लिए राजनीति नहीं करने की बात कही है।
बता दें, सवानी के पार्टी में शामिल होने से तो पार्टी के दिग्गज नेता इतने खुश थे कि सवानी को पार्टी की सदस्यता दिलवाने के लिए खुद दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया सूरत पहुंचे थे।
कैसे थमेगी आपसी कलह?
साल 2022 से पहले स्थानीय निकाय चुनाव में अपने संगठन को बनाकर आम आदमी पार्टी ने सूरत कोर्पोरेशन में 27 सीट हासिल की थीं। इसके बाद, गांधीनगर कोर्पोरेशन में कांग्रेस को टक्कर देते हुए दूसरे नबंर की पार्टी बनी है। पार्टी इसी साल होने वाले गुजरात विधानसभा चुनावों की तैयारी में लगी है। ऐसे में धड़धड़ बड़े नेताओं का पार्टी से मोहभंग होना आप पार्टी के लिए परेशान करने वाली बात है। अब यही सवाल उठ रहा है कि क्या पार्टी इस बिखराव को रोक पाएगी।
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