गुजरात में विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से पहले राज्य सरकार की आखिरी कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने गुजरात में समान नागरिक संहिता को लागू करने की मंजूरी दे दी। सरकार ने कहा है कि अगर इस चुनाव में भाजपा की सरकार बनी तो समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी।
इसके लिए सरकार पहले सर्वोच्च या उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाएगी, जिसमें तीन या चार विशेषज्ञ होंगे और वे तय करेंगे कि समान नागरिक संहिता को लागू किया जाए या नहीं, या कैसे लागू किया जाए।
यह फैसला सरकार की कैबिनेट बैठक में लिया गया, लेकिन इसकी घोषणा भाजपा के प्रदेश कार्यालय कमलम से केंद्रीय पशुपालन मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला और गुजरात के गृह राज्यमंत्री हर्ष सांघवी ने की। उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में सीएम भूपेंद्र पटेल ने जनहित को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया है।
नागरिक मुद्दों पर प्रत्येक नागरिक के लिए एक ही कानून होगा
मुस्लिम बहुविवाह, तलाक कानून पर अंकुश लगेगा
समान नागरिक संहिता में हर नागरिक पर एक ही दीवानी कानून लागू होगा। जिसमें गोद लेने,तलाक, विवाह, विरासत, संपत्ति का बंटवारा, धार्मिक संपत्तियों के लिए अलग-अलग धर्मों के के लिए अलग-अलग पर्सनल लॉ बोर्ड हैं। उनके स्थान पर प्रत्येक नागरिक के लिए एक ही कानून लागू होगा। इससे मुस्लिमों में बहुविवाह और तलाक के नियम नियंत्रण में आ जाएंगे। वक्फ बोर्ड की संपत्तियों में अन्य धर्मार्थ संस्थानों पर लागू होने वाले कानून समान होंगे।
सरकार ने अभी तक नियम स्पष्ट नहीं किया
केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने ्कहा कि राज्य सरकार ने अभी तक इस कानून में शामिल किए जाने वाले नियमों और ड्राफ्ट के संबंध में कोई घोषणा नहीं की है। न्यायाधीश की अध्यक्षता में समिति गठित करेंगे, जो सरकार को राय देगी।
चुनाव में गेम चेंजर बन सकता है यह मुद्दा
विधानसभा चुनाव से पहले सरकार इस मुद्दे का प्रचार करेगी। भाजपा अपने सॉफ्ट हिंदुत्व के मुद्दे को यहीं से आगे बढ़ाएगी। हालांकि चुनाव के बाद सरकार को यह फैसला लेना होता है, अभी तक यह केवल चुनावी वादा है।
यूपी, उत्तराखंड, हिमाचल ने घोषणा की, लागू नहीं किया
आजाद होने के बाद गोवा में वहां की राज्य सरकार ने एक समान नागरिक संहिता लागू की है और यह कानून वाला भारत का एकमात्र राज्य है। उत्तराखंड और यूपी की भाजपा शासित राज्य सरकारों ने विस चुनाव से पहले कानून को लागू करने की घोषणा की थी। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश भी इससे पहले इसी तरह की घोषणा कर चुका है, हालांकि भाजपा शासित 3 राज्यों में से किसी ने भी इस कानून को लागू नहीं किया है।
संविधान के अनुच्छेद-14 का सिद्धांत कहता है कि कानून सभी के लिए समान होना चाहिएै। भारत में अलग-अलग धर्मों के लिए अलग-अलग कानूनों में विसंगतियों को दूर किया जाना चाहिए। विकसित देशों में कानूनों में इस तरह की विसंगतियां धर्म के अधीन नहीं हैं। - जाल सोली ऊनवाला, वरिष्ठ एडवोकेट
चुनाव से पहले यह घोषणा सिर्फ वोटबैंक की राजनीति के लिए है। यह कानून टिक नहीं सकता, क्योंकि संवैधानिक प्रावधान इससे असंगत है। बेरोजगारी, गरीबी, महंगाई जैसे मुद्दों पर राहत देने की बजाय सरकार इस तरह के मुद्दाें काे हवा दे रही है।- अर्जुन मोढवाडिया, वरिष्ठ नेता, कांग्रेस
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