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वर्ष 2016-17 के बाद चीन से एफडीवाय यार्न का आयात घट गया है। अब मुश्किल से 0.18 प्रतिशत यार्न चीन से आयात हो रहा है। फिआस्वी और पांडेसरा वीवर्स सोसाइटी ने केंद्रीय वित्त मंत्री सेडायरेक्टोरोट जनरल ऑफ ट्रेड रेमेडीज (डीजीटीआर) की पांच साल तक एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाने की सिफारिश को रद्द करने की मांग की है। यार्न पर एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाई गई तो विदेशी फैब्रिक्स के सामने लोकल उत्पादकों का टिके रहना मुश्किल हो जाएगा।
फिआस्वी ने बताया कि सूरत में 5.5 लाख पावरलूम्स हैं। इसमें से 4.12 लाख लूम्स इसी यार्न से फैब्रिक्स का उत्पादन करते हैं। 22 हजार करोड़ का निवेश इस इंडस्ट्रीज में हुआ है। लूम्स पर 5 लाख लोगों का रोजगार निर्भर है। 20 अक्टूबर 2015 को चीन और थाईलैंड से आयात होने वाले एफडीवाय यार्न पर एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाई गई थी।
इसकी अवधि 21 अक्टूबर 2020 को पूरी होने के बाद इसे बढ़ाकर 31 दिसंबर 2020 कर दिया गया था। मियाद खत्म होने के बाद डीजीटीआर ने 5 साल के लिए एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाने की सिफारिश की है। वर्ष 2016-17 चीन से 288 मीट्रिक टन यार्न आयात हुआ था जो 2018-19 में घटकर 36 टन हो गया। वहीं 1 जनवरी से 31 दिसंबर 2019 के बीच कुल 113 टन यार्न का आयात हुआ है।
भारतीय उत्पादकों ने वर्ष 2019 में 9,06,788 मीट्रिक टन यार्न का उत्पादन किया है। पिछले कुछ दिनों में क्रूड ऑयल में 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, पर यार्न के भाव 90 प्रतिशत तक बढ़ गए। अगर आयातित यार्न पर एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाई गई तो कपड़े का उत्पादन और महंगा हो जाएगा। इससे वैश्विक बाजार में टिके रहना मुश्किल होगा।
वीवर्स दो गुटों में बंटे, स्पिनर्स के साथ अकेले मीटिंग करने का आ रोप
यार्न की बढ़ती दरें और एंटी डंपिंग ड्यूटी के मुद्दे पर विरोध करने वाले वीवर्स में अब असंतोष दिखाई दे रहा है। वीवर्स दो गुटों में बंट गए हैं। एक गुट वीवर्स को विश्वास में लिए बगैर स्पिनर्स के साथ बैठक करके यार्न के भावों पर निर्णय लिया है। इससे दूसरे गुट में भारी नाराजगी है।
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