कोरोना महामारी के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं के साथ इंश्योरेंस-मेडिक्लेम सेवा भी सवालों से घिरी रहीं। ऐसा ही एक मामला हाल में गुजरात के वडोदरा में सामने आया है। आईपीएस दीपक मेघाणी ने इंश्योरेंस कंपनी के असंवेदनशील व्यवहार से हुए कड़वे अनुभव को सोशल मीडिया पर साझा किया। लिखा- ‘कैश सत्य है, कैश-लेस मिथ्या।’
उन्होंने मेडिक्लेम सेवा देने वाली कंपनी पर तंज कसते हुए लिखा कि ‘मैं मेडिक्लेम कंपनी का आभारी हूं कि उन्होंने तब क्वेरी निकाली, जब मैं हॉस्पिटल में बेड पर था। उन्होंने ऐसा कर कैश सत्य, कैशलैस मिथ्या होने का अहसास करवाया। दीपक मेघाणी, वडोदरा शहर पुलिस के जोन-1 के डीसीपी के रूप में तैनात हैं।
मकर संक्रांति पर भर्ती हुए थे, अभी होम आईसोलेशनमें हैं दीपक मेघाणी आईपीएस दीपक मेघाणी मकर संक्राति के दिन कोरोना संक्रमित हो गए तो उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती करवाना पड़ा। सोमवार को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज मिलने के उन्होंने इंश्योरेंस कंपनी के साथ हुए अपने कड़वे अनुभव को साझा किया। उन्होंने लिखा कि ‘मैं कोविड-19 पॉजिटिव आया। पूरे शरीर और सिर में तेज दर्द, बुखार और ऑक्सीजन स्तर में उतार-चढ़ाव की स्थिति थी।
बीती 14 जनवरी को मैं हॉस्पिटल में भर्ती हुआ और आज डिस्चार्ज के बाद होम आईसोलेशन में हूं। जब मैं हॉस्पिटल में बेहद तकलीफ से गुजर रहा था, तब बार-बार क्वेरी करके मुझे ‘कैश सत्य-कैशलेस मिथ्या’ के सच का अहसास करवाने के लिए किए गए सख्त प्रयासों के लिए मैं इंश्योरेंस कंपनी का आभारी हूं।
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