गुजरात के मोरबी पुल हादसे में मृतकों की संख्या 190 पर पहुंच गई। इनमें 25 बच्चे भी शामिल हैं। मृतकों में महिलाओं और बुजुर्गों की संख्या भी ज्यादा है। 170 लोग रेस्क्यू किए गए हैं। हादसा रविवार शाम 6.30 बजे तब हुआ, जब 765 फीट लंबा और महज 4.5 फीट चौड़ा केबल सस्पेंशन ब्रिज टूट गया।
5 दिन पहले ही खोला गया था ब्रिज
इस ब्रिज के रख-रखाव की जिम्मेदारी ओरेवा ग्रुप की थी। करीब 6 महीने के रेनोवेशन के बाद 5 दिन पहले ही ब्रिज आम लोगों के लिए खोला गया था। अब इस मामले में कई जानकारियां सामने आ रही हैं। भास्कर को उस एग्रीमेंट की प्रति प्राप्त हुई है, जिसके तहत मोरबी नगर पालिका ने मार्च-2022 में ओरेवा कंपनी को 15 साल के लिए सस्पेंशन ब्रिज के रख-रखाव की जिम्मेदारी सौंपी थी। यह एग्रीमेंट 5 मार्च, 2022 को किया गया था।
कंपनी ने पहले ही दिन से पैसे ऐंठने शुरू किए
इस समझौते की मुख्य शर्तों के अनुसार, वर्ष 2022-23 के दौरान 12 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति के लिए 15 और 12 साल से 5 साल तक के बच्चों के 10 रुपये चार्ज किए जाने थे। लेकिन, ओरेवा ने पुल खोलने के पहले ही दिन से 15 रुपए की जगह 17 और 10 की जगह 12 रुपए ऐंठने शुरू कर दिए।
टिकट में नगर पालिका नाम ही नहीं
आमतौर पर जब सरकारी संपत्ति किसी निजी संस्था को संचालन के लिए दी जाती है, तो उसका मूल स्वामित्व सरकारी इकाई के पास रहता है। जैसे कि कोई भूखंड पार्किंग के लिए किसी प्राइवेट फर्म को दिया जाता है तो उसपर नगर निगम भी लिखा होता है। राष्ट्रीय राजमार्गों के टोल प्लाजा पर भी टूल कूपन के हेडर में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण लिखा होता है। लेकिन, ओरेवा ग्रुप ने ब्रिज के टिकट पर मोरबी नगर पालिका का कोई जिक्र ही नहीं किया। साफ है कि टिकट की कीमतें खुद ने ही तय कर ली थीं।
पुश्तैनी संपत्ति समझकर कर दिया उद्घाटन
मोरबी नगर पालिका के मुख्य अधिकारी संदीप सिंह झाला ने कल मीडिया से कहा था कि ओरेवा ने ब्रिज ओपन करने से पहले नगर निगम से एनओसी ही नहीं ली थी। बावजूद इसके अपनी मर्जी से 26 अक्टूबर को ब्रिज का उद्घाटन कर दिया था। उद्घाटन समारोह में नगर पालिका का कोई सदस्य या अधिकारी नहीं था। ओरेवा ग्रुप के फेसबुक और इंस्टा पेज पर नवनिर्मित इस ब्रिज के उद्घाटन के फोटो और वीडियो में ओरेवा के एमडी जयसुख पटेल और उनका परिवार ही नजर आ रहा है। पुल का उद्घाटन जयसुख पटेल ने इस तरह किया, जैसे कि यह उनकी पुश्तैनी संपत्ति हो।
मृतकों के परिजनों के लिए दो शब्द भी नहीं कहे
कंपनी ने पूरे गर्व के साथ ब्रिज ओपन किया था, जो पांच दिनों में ही ढह गया। हादसे में सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है और इस हादसे के लिए जिम्मेदार ओरेवा ग्रुप के एमडी जयसुख पटेल और उनके परिवार के किसी भी सदस्य ने मृतकों के परिजनों के लिए दो शब्द नहीं कहे।
परिवार के साथ अंडरग्राउंड हुए जयसुख पटेल?
हादसे के बाद से ही ओरेवा ग्रुप के एमडी जयसुख पटेल और उनके परिवार से किसी का संपर्क नहीं हो पा रहा है। ऐसी भी चर्चा है कि पूरा परिवार अंडरग्राउंड हो गया है। जबकि, पांच दिन पहले ही जयसुख पटेल ने बड़ी गर्मजोशी से प्रेस कांफ्रेंस की थी। कॉन्फ्रेंस में उन्होंने यह भी बताया था कि पुल के रेनोवेशन में कितना खर्च किया है और इसकी सामग्री कहां से खरीदी गई।
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