गुजरात के हलवद जिले से एक रोचक मामला सामने आया है, जिसमें ईमानदारी की बेहतरीन मिसाल भी शामिल है। दरअसल हुआ यूं कि साल भर पहले हदवद के रणछोड़ गांव में बाढ़ आई थी। बाढ़ के दौरान यहां रहने वाले एक किसान का वह स्टील का डिब्बा भी बह गया था, जिसमें उसकी 22 हजार रुपए की जमा पूंजी रखी थी। अब यही डिब्बा तीन किलोमीटर दूर दूसरे गांव में पशुपालक को मिला। पशुपालक ने यह बात गांव के सरपंच को बताई और फिर गांववालों ने पैसों के असली मालिक को खोज निकाला और उसकी कमाई टिफिन सहित लौटा दी।
एक साल पहले की घटना
गांव में रहने वाले मुन्नाभाई ठाकोर खेती-बाड़ी कर अपना जीवन यापन करते हैं। पिछले साल अपनी मेहनत की कमाई से जमा किए 22,000 रुपए एक स्टील के डिब्बे में रख दिए थे। इसी दौरान रात को अचानक गांव में बाढ़ आ गई। मुन्नाभाई ठाकोर की पूरी फसल तो खराब हुई ही, साथ ही उनके घर का सामान भी पानी में डूब गया था। मुन्नाभाई परिवार की हिफाजत में लगे थे। इसी दौरान उनका यह डिब्बा बाढ़ में बह गया। मुन्नाभाई ने दूसरे दिन डिब्बा दूर-दराज तक जाकर खोजा, लेकिन वह नहीं मिल सका। अपना दुर्भाग्य मानकर मुन्नाभाई फिर से अपनी जिंदगी में व्यस्त हो गए।
कैसे मिला रुपयों से भरा डिब्बा
दरअसल, मुन्नाभाई ठाकोर का खोया हुआ डिब्बा पास के सरंभदा गांव तक पहुंच गया था। बाढ़ का पानी उतरा तो डिब्बा मलबे में ही दब गया। बीते सोमवार को सरभंदा गांव के पशुपालक मुकेशभाई दोराला गांव की सीमा पर अपने पशुओं को चरा रहे थे। इसी दौरान उन्हें डिब्बे का ऊपरी हिस्सा दिखाई दिया। उसे बाहर निकालकर देखा तो उसमें सौ-सौ रुपए के नोटों की गड्डिया थीं। ये पूरे 22 हजार रुपए थे, जो पूरी तरह सही सलामत भी थे। मुकेश भाई डिब्बा लेकर गांव पहुंचे और सरपंच को यह बात बताई। गांव वालों को यह बात समझने में देर नहीं लगी कि डिब्बा बाढ़ के पानी में बहकर आया होगा।
मुकेशभाई ने नहीं लिया ईनाम
इसके बाद गांववालों ने आसपसा के गांवों से जानकारी ली तो मालूम हुआ कि रणछोड़ गांव के एक किसान के 22 हजार रुपए बाढ़ में बह गए थे। मुकेशभाई सरपंच और गांववालों के साथ रणछोड़भाई के पास पहुंचे और डिब्बे सहित पूरे पैसे उन्हें लौटा दिए। इस बारे में मुन्नाभाई ने बताया कि उन्हें पैसे खोने का बहुत दिनों तक दुख रहा था, क्योंकि ये पैसे उन्होंने एक साल की मेहनत से इकट्ठे किए थे। वे इन पैसों से अपने कच्चे घर की छत बनवाना चाहते थे। पैसे मिलने के बाद मुन्नाभाई ने उसमें से 1 हजार रुपए मंदिर में दान कर दिए हैं। उन्होंने पशुपालक मुकेशभाई को इनाम देने की भी बात कही, लेकिन मुकेशभाई ने उनसे किसी भी तरह का ईनाम लेने से साफ मना कर दिया।
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