गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल का 92 साल की उम्र में निधन हो गया। गुरुवार सुबह सांस लेने में दिक्कत होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। केशुभाई 2 बार गुजरात के मुख्यमंत्री रहे थे। हालांकि, तख्तापलट के चलते दोनों बार मुख्यमंत्री का टर्म पूरा नहीं कर पाए। 2001 में उनकी जगह नरेंद्र मोदी ने CM पद की शपथ ली। मोदी उन्हें अपना राजनीतिक गुरु भी मानते हैं। प्रधानमंत्री बनने पर मोदी ने कहा भी था कि सूबे की असल कमान केशुभाई के हाथ में ही है। गुजरात में उन्हें लोग प्यार से बापा कहकर बुलाते थे।
पिछले तीन सालों में दो बेटों की मौत
केशुभाई पटेल का जन्म 24 जुलाई, 1928 को जूनागढ़ जिले के विसावदर गांव में हुआ था। उनके व्यक्तिगत जीवन की बात करें तो उनका विवाह लीलाबेन के साथ हुआ था। 6 संतानों में 5 बेटे और एक बेटी के माता-पिता बने। साल 2006 में गांधीनगर स्थित घर के एक्सरसाइज रूम में शॉर्ट सर्किट के चलते आग लगने से पत्नी की मौत हो गई थी। वहीं, 2017 में बेटे प्रवीण का निधन हुआ। वहीं, दूसरे बेटे की 2019 में हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। एक बेटा संन्यासी बन चुका है।
राजनीतिक सफर
1960 के दशक में केशुभाई पटेल ने जनसंघ कार्यकर्ता के रूप में शुरुआत की थी। वह इसके संस्थापक सदस्यों में शामिल थे। 1975 में जनसंघ-कांग्रेस (ओ) गठबंधन गुजरात में सत्ता में आई। आपातकाल के बाद 1977 में केशुभाई पटेल राजकोट से लोकसभा के लिए चुने गए थे। बाद में उन्होंने इस्तीफा दे दिया और बाबूभाई पटेल की जनता मोर्चा सरकार में 1978 से 1980 तक कृषि मंत्री रहे।
1979 में मच्छू बांध दुर्घटना, जिसने मोरबी को तबाह कर दिया था, के बाद उन्हें राहत कार्य में शामिल किया गया था। केशुभाई पटेल 1978 और 1995 के बीच कलावाड़, गोंडल और विशावादार से विधानसभा चुनाव जीते। 1980 में, जब जनसंघ पार्टी को भंग कर दिया गया तो वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ आयोजक बने।
डॉन को दिया था चैलेंज
अहमदाबाद के कुख्यात डॉन लतीफ के गढ़ पोपटीयावाड मोहल्ले में पुलिस भी दाखिल होने से डरती थी। लतीफ की गुंडागर्दी के चलते इस इलाके में गैर-मुस्लिम व्यक्ति तो जाने से भी डरता था। बीजेपी 1995 के चुनाव में इसे ही चुनावी मुद्दा बनाना चाहती थी। इसके बाद केशुभाई पटेल के नेतृत्व में ही पोपटीयावाड इलाके में बीजेपी ने लोक दरबार का आयोजन किया गया था। चुनाव के दौरान भाजपा ने लतीफ डॉन से कांग्रेस सरकार की मिलीभगत का आरोप लगाते हुए आक्रामक प्रचार किया था और विधानसभा चुनाव में भाजपा को जीत भी मिली थी।
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