गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण में कम वोटिंग से भाजपा भी चिंतित दिख रही है। पार्टी का आकलन है कि 12 से 15 सीटों पर जीत-हार का मार्जिन कम हो सकता है। ऐसे में पार्टी ने कार्यकर्ताओं को संदेश भेजा है कि वे खासकर शहरी इलाकों में अधिक से अधिक वोटरों को बूथ तक लाएं।
कम वोटिंग से सभी पार्टियों का तनाव बढ़ा
दरअसल, दक्षिण गुजरात और सौराष्ट्र-कच्छ में पहले चरण में हुई कम वोटिंग ने सभी पार्टियों का तनाव बढ़ा दिया है। तमाम आंदोलनों के बावजूद भाजपा को इस रीजन में 2012 की तुलना में एक सीट का नुकसान हुआ था। पार्टी ने 51 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस चरण में लड़ाई भाजपा बनाम कांग्रेस ही है। आम आदमी पार्टी का प्रभाव इस चरण में कुछ सीटों तक सीमित दिख रहा है। खास बात यह है कि इस रीजन में मोदी और शाह के गृहनगर भी आते हैं। 2002 के दंगों में यही क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित था।
दूसरे चरण की 93 सीटों पर आज थमेगा प्रचार
गुजरात में पहले चरण की 89 सीटों पर वोटिंग के बाद अब सभी दलों ने 5 दिसंबर की वोटिंग के लिए उत्तर और मध्य-पूर्व गुजरात की 93 सीटों पर नई रणनीति पर काम शुरू किया है। उत्तर गुजरात में 32 और मध्य-पूर्व गुजरात में 61 सीटें आती हैं। 2017 में इन क्षेत्रों में 70.76% वोट पड़े थे।
कांग्रेस: पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मोर्चा संभाल रखा है। इस चरण में भी कांग्रेस प्रचार के साइलेंट मॉडल पर भरोसा कर रही है। छोटी-छोटी सभाएं कर रही है। समाज के लोगों के साथ मीटिंग कर रही है। लगातार 27 साल से बाहर होने के बावजूद कांग्रेस मजबूत रही है। यहां ठाकोर समुदाय के पास कई स्थापित चेहरे हैं। दूसरे चरण में 13 सीटें एसटी वर्ग के लिए रिजर्व है।
भाजपा: भाजपा ने प्रचार को गुजरात की अस्मिता, गुजरात के बेटे का मान और अखंड शांति से जोड़ दिया है। प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि कांग्रेस गांधी परिवार को खुश करने के लिए उन्हें अपशब्द कह रही है। गुजरात के बेटे का अपमान, गुजरात का अपमान है। शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांकरेज, पाटन, सौजित्र में रैलियां की और अहमदाबाद में दूसरे दिन भी रोड शो किया।
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