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उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे को आज यानी 23 फरवरी को एक साल पूरा हो जाएगा। लेकिन दंगा पीड़ितों के जख्म आज भी ताजा हैं। इस दंगे ने जिन लोगों को जो जख्म दिए थे वो कभी भूला नहीं पाएंगे। पिछले साल सीएए और एनआरसी को लेकर आंदोलन के दौरान 23 फरवरी 2020 की रात को दंगे भड़क गए थे। 23 से 26 को हुए दंगे में उत्तर-पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में जो तांडव हुआ उसके गवाही आज भी आगजनी के धुंए से हुई काली दीवारें व तोड़फोड़ के निशान तबाही के हकीकत बयां कर रहे हैं।
उत्तर पूर्वी दिल्ली के चांद बाग, खजूरी खास, बाबरपुर, जाफराबाद, सीलमपुर, मुख्य वजीराबाद रोड, करावल नगर, शिव विहार, ब्रह्मपुरी आदि इलाकों में एक वर्ष बीतने के बाद भी दंगों के बीच हुए दो समुदायों के बीच उपद्रव, आगजनी, तोड़फोड़ के निशान अभी भी मौजूद है।
लोगों के बीच अभी भी भयावह दंगे की दहशत ताजा है। दंगे के बाद कुछ लोग तो सरकारी व गैर सरकारी सहायता से फिर से दोबारा पटरी पर लौट आएं हैं। तो कुछ लोग अपने काम को फिर से शुरू करने की तैयारी कर रहें हैं।
उनमें बहुत सारे लोग अभी भी ऐसे हैं जो अभी नुकसान से उबर नहीं सके और उनको आज भी मदद दरकार है। वहीं दंगा पीड़ितों की मांग है कि दंगे की सुनवाई में देर हो रही है। इस मामले में और तेजी से कोर्ट में सुनवाई होनी चाहिए। इसके साथ ही दोषी को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
सरकारी सहायता का इंतजार
करावल नगर रोड पर गिरी ऑटो मोबाइल संचालक दलीप ने बताया कि 24 फरवरी 2019 की दोपहर करीब दो बजे बाद दंगाइयों की भीड़ उनके सर्विस सेंटर में घुस गई थी और घुसते ही पहले उनसे जमीन पर गिरा कर मारपीट करते हुए पहले मोबाइल व जेब में रखे 5 हजार रुपए छीने। फिर गल्ले रखी करीब 2.50 लाख रुपए लूट लिये।
जब दंगाई दुकान में तोड़-फोड़ करने लगे तो मैं सर्विस सेंटर से छत के रास्ते जान बचाने के लिए कूदकर भाग गया। कुछ देर बाद लौटकर आया तो सेंटर पर खड़ी करीब 16 बाइक और करीब 25 लाख के स्पेयर पार्ट्स जला दिए गए थे।
दलीप ने कहा कि बैंक, सरकारी कार्यालय के चक्कर काटने के बावजूद किसी तरह की सरकारी सहायता उन्हें अभी तक नहीं मिली है। दंगे में उन्हें 30 लाख से अधिक का नुकसान हुआ था। सर्विस सेंटर को फिर से खड़ा करने में लाखों रुपए लगेगा। लेकिन यह कब होगा, कैसे होगा उन्हें पता नहीं।
दंगे के बाद दुकानदारों पर कोरोना की मार
चांद बाग पुलिया से चंद कदमों की दूरी गद्दे वाले अशोक की पूरी दुकान को हुड़दंगियों ने जला दी थी। इसके बाद कोरोना आ गया। इस कारण अशोक की दुकान महीनों बंद रही। इस दौरान भूखे रहने की हालत हो गई। अशोक ने बताया कि दो माह पूर्व अशोक ने दोबारा से दुकान शुरू की है।
दुकान खोलने में दिल्ली सरकार से दो लाख सहायता राशि मिली और बाकी का आसपास के मार्केट वालों ने मदद की जिसमें सभी धर्म के लोग हैं। अशोक बताते हैं कि 24 फरवरी जब दंगा शुरू हुआ वह करीब 12 बजे अपनी दुकान बंद कर नंदनगरी स्थित अपने घर चले गए। दोपहर में किसी पड़ोसी दुकानदार न उन्हें फोन कर बताया कि उनकी दुकान किसी ने जला दी है। वह डर के मारे कई दिन तक परिवार के दबाव में दुकान पर नहीं आए। कई दिनों तक वो और उनके परिवार के लोग सो नहीं पाते थे।
कपिल मिश्रा ने एलजी को लिखा पत्र, ताहिर की बिल्डिंग गिराने की मांग
इधर भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने एक बार फिर से आम आदमी पार्टी के निलंबित पार्षद और दिल्ली हिंसा के आरोपी ताहिर हुसैन पर हमला बोला है। उन्होंने दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल को चिट्ठी लिखी है। मिश्रा ने इस बाबत ट्वीट करते किया कि आज से एक साल पहले ताहिर हुसैन की अवैध गैरकानूनी बिल्डिंग का इस्तेमाल हथियार की तरह किया गया था।
इसी अवैध बिल्डिंग से बम, एसिड और गुलेल सब बरामद हुए थे। उन्होंने कहा कि इसी बिल्डिंग में वीर आई अफसर अंकित शर्मा की हत्या भी की गई थी। इसके बावजूद भी अभी तक यह बिल्डिंग खड़ी है। कपिल मिश्रा ने कहा कि कृपया ताहिर हुसैन की अवैध बिल्डिंग गिराई जाए।
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