प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जब भी बात होती है तो उनकी फिटनेस की भी चर्चा होती है। गुजरात के मुख्यमंत्री होने के समय से ही उनकी फिटनेस की चर्चा देश ही नहीं, विदेश में भी होती आई है। दरअसल, फिटनेस मोदी परिवार की परंपरा रही है। आज प्रधानमंत्री मोदी की मां हीराबा का जन्मदिन है। आज उन्होंने जीवन के 100वें साल में प्रवेश कर लिया।
मोदी की तरह हीराबा की बेहतरीन सेहत पर हमेशा बात होती है। 100 साल की उम्र में भी किसी भी बीमारी मुक्त हीराबा की फिटनेस और सेहत युवाओं के लिए सीख लेने वाली बात है। इसी मौके पर भास्कर ने प्रधानमंत्री मोदी के भाई प्रहलाद मोदी से बातचीत की और हीराबा की सेहत का राज जाना।
किसी भी तरह की दवा नहीं लेतीं
भास्कर से बातचीत में प्रहलाद मोदी ने कहा - 'हीराबा की मेहनत के साथ-साथ उनके अच्छे और सकारात्मक विचारों ने उन्हें इस उम्र में भी स्वस्थ बनाए रखा है। उन्होंने न तो पहले ही किसी तरह की दवा ली और न अब लेती हैं। किसी भी समस्या पर वो घरेलू उपचार कर लेती हैं।
कभी बाहर का खाना नहीं खाया
प्रहलाद ने आगे कहा- आज के समय में बड़ी उम्र के लोग भी पानीपुरी-चाट के ठेलों पर चटखारे लेते हुए नजर आ जाएंगे, लेकिन जहां तक मुझे याद है कि हमारी माताजी ने आज तक बाहर का कोई खानपान नहीं लिया। खाना तो दूर की बात है, वे तो बाहर का नाश्ता तक नहीं करतीं। सुबह से लेकर रात तक किसी न किसी काम में बिजी रहती हैं।
प्रहलाद कहते हैं- जब हम वडनगर में थे तो वहां सभी लोगों के लिए एक ही कुआं था। यह कुंआ ठाकोर फार्म अमरकोट गेट के पास अम्थर माता मंदिर के पीछे स्थित था। इसे पाधेड़ी का कुआं कहा जाता था। हमारी मातृश्री दिन में कम से कम दो बार कुएं से पानी खींचकर घर लाती थीं। उस कुएं की गहराई भी 15 फीट से ज्यादा थी।
अपना हर काम खुद करती हैं
बातचीत का सिलसिला बढ़ाते हुए प्रहलाद कहते हैं- लगातार मेहनत और सादा जीवन जीने के कारण उनका स्वास्थ्य आज हम बच्चों से भी बेहतर है। सुबह से लेकर रात तक वो अपना हर काम खुद ही करती हैं। उन्होंने हमेशा से सादा जीवन जिया है। हमें दिए हुए यह उनके ही संस्कार हैं कि हमारे परिवारों में फैशन की कोई जगह नहीं है। मुझे याद नहीं कि कोई मेकअप कराने कभी ब्यूटी पार्लर भी गया होगा। उनके सरल जीवन का प्रभाव हमारे जीवन में भी है। हम सभी भाई भी सादा जीवन जीते हैं। हम सभी मेहनत करके जीवन-यापन करते हैं।
नियमितता और धार्मिक स्वभाव के कारण स्थिर
प्रहलाद भाई कहते हैं- मातृश्री का स्वभाव धार्मिक है और आज भी उनके रोजाना के नियमों में पूजा-पाठ सबसे ऊपर है। वो दोपहर के भोजन के बाद ही कमरे से बाहर आती हैं। थोड़ा ठहलती हैं और झूले पर बैठ जाती हैं। हीराबा के 100वें जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में वडनगर में एक संगीत संध्या का आयोजन किया गया है, जिसमें हमारा परिवार मौजूद रहेगा।
हीराबा के अच्छे स्वास्थ्य के लिए वडनगर में नवचंडी यज्ञ
हीराबा के 100वें वर्ष में प्रवेश करने के सम्मान में प्रधानमंत्री मोदी के गृहनगर वडनगर में नवचंडी यज्ञ का आयोजन किया गया है। यज्ञ के पूरा होने के बाद परिवार द्वारा वडनगर और आसपास के गांवों के सात हजार से ज्यादा बच्चों के भोज की भी व्यवस्था की गई है।
(निर्मल दवे-अपूर्व रावल से बातचीत पर आधारित)
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