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मजबूरी, लापरवाही और संवेदनहीनता की यह तस्वीर कोरोना काल की सूरत बयां कर रही है। जहां परिवार के तीन सदस्य कोरोना पीडि़त हैं, लेकिन इलाज सभी को नसीब नहीं। नंदूबार जिले के बुजुर्ग दंपती और उनका 32 वर्षीय बेटा कोराना पॉजिटिव हुए और इलाज की आस में सूरत पहुंचे। लेकिन केवल पिता को ही अस्पताल में इलाज मिल रहा है।
जबकि मां-बेटा अस्पताल के बाहर सीढियों पर तिल-तिल मरने को मजबूर है। सूरत के सरकारी और प्राइवेट अस्पताल मरीजों से हाउसफुल हैं। ऐसी स्थिति में इस परिवार को सरकारी अस्पताल में जगह नहीं मिली और इलाज के लिए प्राइवेट अस्पताल यूनिक अस्पताल जाना पड़ा। लेकिन प्राइवेट अस्पताल का भारी-भरकम इलाज इनके बूते से बाहर है।
इसलिए केवल पिता को अस्पताल में भर्ती कराया जा सका। हालात यह है कि एक सप्ताह से अस्पताल में अंदर पिता का इलाज चल रहा है। जबकि मां-बेटा अस्पताल के बाहर खुले में सीढि़यों पर इलाज करा रहे है।
पॉजिटिव- कहीं इन्वेस्टमेंट करने के लिए समय उत्तम है, लेकिन किसी अनुभवी व्यक्ति का मार्गदर्शन अवश्य लें। धार्मिक तथा आध्यात्मिक गतिविधियों में भी आपका विशेष योगदान रहेगा। किसी नजदीकी संबंधी द्वारा शुभ ...
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