पति के मौत के बाद उसका शव वापस ले जाने के लिए पत्नी के पास पैसे नहीं थे, इसलिए वह मदद की गुहार लगाते-लगाते 17 घंटे तक बच्चों के साथ शव के साथ बैठी रही। बाद में 108 एंबुलेंस से सबको सिविल अस्पताल लाया गया। डॉक्टरों ने शव का पोस्टमार्टम कराया, जिसमें पता चला कि व्यक्ति की करंट लगने से मौत हुई है।
हालांकि अधिक जानकारी के लिए सैंपल लेकर लैब भेज दिया गया है। वहीं महिला की लाचारी को देखते एक सामाजिक कार्यकर्ता ने मदद के रूप में महिला को 5 हजार रुपए दिए। फिलहाल महिला ने अभी तक यह निर्णय नहीं ले सकी है कि शव झांसी ले जाए या उसका अंतिम संस्कार सूरत में ही करे।
उन पाटिया महबूबनगर निवासी 32 वर्षीय रणजीत ठाकुर संचा कारखाने में काम करता था। उसे शराब पीने की लत थी। मंगलवार की दोपहर को वह खाना खाने के बाद शराब पीकर सो गया। 1 घंटे बाद उसके एक साथी ने उसे जगाने की कोशिश की, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं होने पर पत्नी मनीषा ने मूल वतन झांसी और अपने अन्य रिश्तेदारों को फोन कर जानकारी दी। परिजनों ने उसे तत्काल झांसी लेकर आने को कहा। पड़ोसियों की मदद से मनीषा ने एंबुलेंस का इंतजाम किया। लेकिन पता चला कि इसमें हजारों रुपए का खर्च आएगा।
करंट लगने से हुई थी मौत, झांसी ले जाना था शव
आर्थिक तंगी से जूझ रही मनीषा ने बताया कि उसके पास इतने पैसे नहीं थे कि वह रंजीत का शव झांसी ले जा सके। वह रणजीत के शव के साथ मंगलवार दोपहर से पूरी रात बैठी रही। अपने जान-पहचान और रिश्तेदारों को फोन कर मदद की गुहार लगाती रही। इस बीच 17 घंटे बीत गए।
बाद में किसी पड़ोसी ने 108 एंबुलेंस को फोन किया। एंबुलेंस आई और रणजीत को मृत बताया। उसके बाद शव लेकर सिविल अस्पताल पहुंची। मौत का कारण स्पष्ट नहीं होने के से रणजीत के शव का पोस्टमार्टम हुआ और जानकारी पुलिस को भी दी। मौके पर पहुंची पुलिस को मनीषा ने बताया कि मंगलवार दोपहर से ही रणजीत सो कर नहीं उठे।
उसे झांसी ले जाना था। आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण हम उसे नहीं ले जा सके। बुधवार को सिविल लाए, यहां पता चला कि उसकी मौत हो गई है। शव का पोस्टमार्टम करने वाले सिविल अस्पताल के डॉक्टर चंद्रेश टेलर ने बताया कि प्राथमिक जानकारी में पता चला कि हाथ में करंट लगने से मौत हुई है।
सामाजिक संस्था ने की मदद | आर्थिक तंगी की जानकारी मिलने से कुछ सामाजिक संस्थाएं मदद के लिए सिविल अस्पताल पहुंच गई। किसी ने फ्री में एंबुलेंस देने का आश्वासन दिया तो किसी ने रास्ते का पूरा खर्च उठाने की बात कही। वहीं एक शख्स ने मदद स्वरूप 5 हजार रुपए दिए। फिलहाल मनीषा अभी इस विचार में है कि शव का अंतिम संस्कार वह झांसी ले जाकर करे या सूरत में ही करे।
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