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कभी वेंटिलेटर के अभाव में सिविल अस्पताल में हर दिन दो से तीन मरीजों की मौत होती थी। अब यहां के स्टोर रूम में 120 वेंटिलेटर मौजूद हैं, जो अगले 10 साल की जरूरत पूरी करेंगे। यही नहीं फेफड़ों की समस्या वाले मरीजों के लिए एक अलग से आईसीयू भी शुरू करने की तैयारी है। स्टाफ का चयन होने के बाद इसे जल्द शुरू कर दिया जाएगा।
कोरोना से पहले सिविल अस्पताल प्रबंधन ने राज्य स्वास्थ्य विभाग से 20 वेंटिलेटर मशीनों की मांग वर्षों से कर रहा था। इसकी मंजूरी मिल गई थी। इसी बीच कोरोना आ गया। इससे यह प्रोसेस रुक गई। बाद में केंद्र सरकार की पहल से सिविल अस्पताल में बहुतायत वेंटिलेटर दिए गए। अब जरूरत से 6 गुना अधिक वेंटिलेटर मिल जाने से इसके अभाव में मौतें नहीं होंगी। कोरोना के कारण अब सिविल अस्पताल में 180 वेंटिलेटर हो गए हैं।
कोरोना से पहले रोज 10 मरीज वेटिंग में रहते थे
शहर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में वेंटिलेटर की कमी से मरीजों को निजी अस्पताल जाना पड़ता था और मोटी रकम देनी पड़ती है। पैसे नहीं होने पर सरकारी अस्पताल में इंतजार करते हुए मरीज की मौत हो जाती थी। अनुमान के अनुसार सिविल मेडिसिन सर्जरी और ऑर्थो के क्रिटिकल मरीजों को समय से वेंटिलेटर नहीं मिलने से हर दिन तीन की मौत हो जाती थी। रोज 10 मरीज वेटिंग में रहते थे।
हमारे पास 120 वेंटिलेटर स्टोर में हैं। जो आगामी 10 साल के लिए काफी है। वेंटिलेटर होने से हम एक नया आईसीयू भी जल्द शुरू करने वाले है। जिसमे फेफड़े से संबंधित मरीजों का इलाज होगा।
-डॉ. शैलेश पटेल, अधीक्षक, सिविल अस्पताल
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