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तीन कृषि कानूनों के विरोध में मंगलवार को जिला के गांव कैलरम निवासी किसान विरेंद्र कुंडू ने अपनी हरी भरी गेहूं की डेढ़ एकड़ फसल पर ट्रैक्टर चला दिया। धर्मबीर के पास दो एकड़ जमीन है। जिस पर गेहूं की फसल बीजी हुई थी। अब परिवार के खाने के लिए आधा एकड़ फसल ही बचाकर रखी है।
तीन कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे प्रदर्शन विरेंद्र व उसका परिवार समर्थन करता है। तीन कानूनों को रद्द करने की मांग को विरेंद्र अपने भाई के साथ दिल्ली बॉर्डर पर भी पहुंचे थे। जहां दो महीने तक धरने में डटे रहे।
किसान नेता राकेश टिकैत ने कुछ दिन पहले बयान दिया था कि सरकार ने मांगें नहीं मानी तो किसान विरोध स्वरूप गेहूं की फसल को आग के हवाले कर देंगे। विरेंद्र कुंडू ने इसी बयान का अनुसरण करते हुए बालियां निकाल चुकी फसल ट्रैक्टर चलाकर जोत दी।
दो महीने दिल्ली बॉर्डर पर दिया धरना: विरेंद्र कुंडू
मेरे परिवार में माता-पिता, छोटा भाई व भाभी है। हमारे पास दो एकड़ जमीन है, जिसमें गेहूं की बिजाई की हुई थी। सरकार द्वारा लागू किए गए तीन कृषि कानून किसानों को बर्बाद करने वाले हैं। मैं और मेरा परिवार इन कानूनों का विरोध करता है। मैं दो महीने दिल्ली बॉर्डर पर किसान धरने में डटा रहा। वहां मेरा भाई भी मेरे साथ था।
सरकार सुनवाई नहीं कर रही। इन कानूनों से किसान आने वाले कुछ वर्षों में बर्बाद हो जाएगा, इन कानूनों को लेकर वह भी काफी दुखी है। इसी के कारण उसने अपनी डेढ़ एकड़ गेहूं की फसल पर ट्रैक्टर चलाया है। फसल से करीब 60 हजार रुपए के गेहूं का उत्पादन होता। अब आधा एकड़ फसल परिवार के खाने के लिए रखी है। लेनदार आएंगे तो उन्हें बोलेंगे कि तीन कानूनों के रद्द होने के बाद ही उनकी देनदारी चुकाएंगे।
(जैसा किसान विरेंद्र कुंडू ने दैनिक भास्कर संवाददाता को बताया)
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