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कैथल के गांव जटहेड़ी-मूंदड़ी में महर्षि वाल्मीकि संस्कृति यूनिवर्सिटी आयुर्वेद में डिप्लोमा करवाने के बाद आगामी सत्र से आयुर्वेद पर डिग्री करवाने के तैयारी में है। इसके लिए विश्वविद्यालय की ओर से पूरी योजना तैयार कर ली गई है।
अभी यूनिवर्सिटी की ओर से आयुर्वेद का डिप्लोमा ही करवाया जा रहा था। आगामी सत्र से विद्यार्थियों के लिए आयुर्वेद में डिग्री शुरू होगी। साथ ही यूनिवर्सिटी बड़े स्तर पर जड़ी-बूटियां उगाकर आयुर्वेद को बढ़ावा देते हुए रिसर्च का कार्य शुरू करेगी। इसके लिए 100 एकड़ जमीन की जरूरत है। जिसकी सरकार से मांग की जाएगी। जड़ी-बूटियां उगाने के लिए जमीन मिलती है तो जल्द ही योजना को अमल में लाया जाएगा। अभी तक देश के चुनिंदा संस्थानों में ही जड़ी-बूटियों पर रिसर्च का कार्य चल रहा है। इनमें प्रदेश कोई बड़ा संस्थान नहीं है, जो जड़ी-बूटियों पर व्यापक स्तर पर रिसर्च का कार्य कर रहा हो।
प्रदेश की पहली संस्कृत यूनिवर्सिटी: महर्षि वाल्मीकि संस्कृत यूनिवर्सिटी प्रदेश की पहली संस्कृत यूनिवर्सिटी है। 24 अक्टूबर 2015 को सीएम मनोहरलाल ने प्रदेश स्तरीय वाल्मीकि जयंती महोत्सव पर जिला के गांव मूंदड़ी में 20 एकड़ में संस्कृत यूनिवर्सिटी बनाने की घोषणा की थी। मूंदड़ी में जमीन कम होने की वजह से करीब 6 महीने पहले गांव जटहेड़ी में भी जमीन ली गई।
जटहेड़ी में कृषि विभाग की 53 एकड़ जमीन मिली थी। जटहेड़ी पूंडरी से तीन किलोमीटर दूरी पर स्थित है। अब जड़ी बूटियां उगाने के लिए भी यूनिवर्सिटी को 100 एकड़ जमीन की जरूरत पड़ेगी। हालांकि जटहेड़ी में चारदीवारी निकलना शुरू होने के बाद ही जमीन के लिए डिमांड होगी।
आयुर्वेद संस्कृत में ही लिखा गया है: डाॅ. जितेंद्र गिल
जड़ी-बूटियों पर रिसर्च की तैयारी सराहनीय कदम है। अभी तक जामनगर, जयपुर, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय जैसे कुछ संस्थानों में ही जड़ी-बूटियों पर रिसर्च हो रही थी। आयुर्वेद संस्कृत में ही लिखा गया है। संस्कृत यूनिवर्सिटी रिसर्च करवाएगी तो यहां बहुत अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। -डाॅ. जितेंद्र गिल, भारतीय चिकित्सा परिषद के पूर्व सदस्य
सरकार से 100 एकड़ जमीन की मांग करेंगे: प्रो. डाॅ. यशवीर
आगामी सत्र से आयुर्वेद की डिग्री शुरू करने की प्लानिंग बनाई है। जड़ी- बूटियां उगाकर आयुर्वेद में रिसर्च को बढ़ावा देने का विचार है। इसके लिए सरकार से 100 एकड़ जमीन की मांग करेंगे। आयुर्वेद में चिकित्सा के बहुत अच्छे परिणाम हैं।
-प्रो. डाॅ. यशवीर आर्य, कुलसचिव महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय, मूंदड़ी
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