भू-जल स्तर लगातार कम होने से रोकने के लिए जहां धान की जगह दूसरी फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है। मेरा पानी मेरा विरासत जैसी योजनाएं लागू की हैं। वहीं खेतों में जमा होने वाले अधिक पानी और बाढ़ के पानी को भी सहेजा जाएगा। इसके लिए खेतों में रिचार्ज शाफ्ट लगाए जाएंगे। सिंचाई विभाग उक्त शाफ्ट लगाएगा।
प्रदेश में पहले उन जगहों पर ये शाफ्ट लगेंगे, जहां भूमिगत जलस्तर 40 मीटर से नीचे है। पहले करीब एक हजार शाफ्ट लगेंगे। सबसे ज्यादा कुरुक्षेत्र में लगाए जाएंगे। इन रिचार्ज शाफ्ट के माध्यम से खेतों में 20 बाय 22 का चैंबर बनाकर उसमें ग्रेवल, बजरी और कोरसेंट की तीन परतों से पानी को गुजारकर रेत की पहली सतह तक 125 फीट पर पाइप को छोड़ा जाता है। ताकि ओवरफ्लो हो रहे खेतों का पानी तेजी से रेत की सतह में जाए और भू-जल स्तर ऊपर आ सके।
एक रिचार्ज शाफ्ट उतना ही पानी जमीन में भेजता है जितना एक ट्यूबवेल धरती से निकालता है। कुुरुक्षेत्र के विभिन्न क्षेत्रों में इस तरह के 590 रिचार्ज शाफ्ट सिंचाई विभाग की ओर से लगाए जाने हैं। कुरुक्षेत्र में जहां जलस्तर नीचे गिर रहा है। रिचार्ज शाफ्ट का डिजाइन चौधरी चरण सिंह कृषि यूनिवर्सिटी हिसार और केंद्रीय भू जल परिषद चंडीगढ़ द्वारा तैयार किया गया है।
मेरा पानी मेरी विरासत योजना के तहत ऑनलाइन आवेदन करने वाले किसानों के खेतों में इन रिचार्ज शाफ्ट सिंचाई विभाग की ओर से निशुल्क लगाया जाएगा। कुरुक्षेत्र में पिपली, शाहाबाद, इस्माईलाबाद, बाबैन डार्क जोन हैं। ऐसे ही कैथल के सीवन, गुहला और रतिया और सिरसा शामिल हैं। खेतों में आने वाला बाढ़ का पानी इन रिचार्ज शाफ्ट के माध्यम से जमीन में चला जाएगा। ऐसे में खेतों से ओवरफ्लो पानी भी उतर जाएगा, जिससे फसलें भी बर्बाद होने से बचेंगी और भूजल स्तर भी ऊपर आएगा।
एक रिचार्ज शाफ्ट पर 4 लाख होंगे खर्च
सिंचाई विभाग के ज्योतिसर कार्यालय के एसडीओ विनोद कुमार के मुताबिक शाहाबाद में 350 रिचार्ज शाफ्ट लगने हैं । जिनमें से 241 लगा दिए गए हैं। इस्माईलाबाद में 80 रिचार्ज शाफ्ट में से 64, पिपली में 80 में से 38 और बाबैन में 80 में से 53 शाफ्ट लगाए जा चुके हैं । विनोद कुमार ने बताया कि एक रिचार्ज शाफ्ट लगाने पर करीब चार लाख रुपए खर्च आ रहा है ।
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