हरियाणा के अंबाला की आबोहवा इस कदर बिगड़ चुकी है कि लोगों का दम घुटने लगा है। जिले का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 500 तक पहुंच गया है। आसमान में स्मॉग का गुबार छाया हुआ है। बढ़ते प्रदूषण के कारण आंखों में जलन, एलर्जी, गले में खराश, सांस लेने में दिक्कत, अस्थमा और जुकाम जैसी दिक्कतें शुरू हो गई हैं।
कूड़े में आग लगाने वाले पर कार्रवाई क्यों नहीं ?
सरकार और प्रशासन बढ़ते प्रदूषण का कारण खेतों में जलाई जा रही पराली को मान रहे हैं। प्रशासन पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ जुर्माना लगाने के साथ-साथ केस भी दर्ज कर रहा है, लेकिन सवाल ये उठता है कि अंबाला में आग लगा कूड़े-कचरे का निपटान करने वालों पर प्रशासन क्या कार्रवाई कर रहा है ?
अस्पताल के बाहर मेडिकल वेस्ट में लगाई आग
सिविल अस्पताल अंबाला कैंट के सेकेंड गेट के पास रखे डस्टबिन में मेडिकल वेस्ट डाला जाता है। इसके साथ ही कूड़े-कचरे का ढेर लगा रहता है। हैरानी की बात ये है कि आग के हवाले कर इस कचरे का निपटान किया जा रहा है। बुधवार देर शाम को भी मेडिकल वेस्ट और सामान्य कचरे में भीषण आग लगी हुई थी।
अक्टूबर से बिगड़ने लगी ज्यादा स्थिति
नेशनल एयर क्वालिटी इंडेक्स के मुताबिक, अंबाला की अक्टूबर से आबोहवा बिगड़नी शुरू हुई थी। अब हालात ऐसे हैं कि काफी खराब एयर क्वालिटी के चलते अंबाला रेड जोन में शामिल है। गुरुवार सुबह साढ़े 6 बजे का भी एयर क्वालिटी इंडेक्स 182 दर्ज किया गया है। साथ लगते कैथल, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर और पंचकूला की स्थिति भी संतोषजनक नहीं है।
क्या होता है PM 2.5
PM 2.5 प्रदूषक कणों की उस श्रेणी को संदर्भित करता है, जिसका आकार 2.5 माइक्रोन के करीब का होता है। ये बहुत छोटे कण होते हैं, जो सांस लेने के दौरान शरीर में प्रवेश कर गले में खराश, जलन और फेफड़ों को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं। मुख्य रूप से आग, बिजली सयंत्रों और औद्योगिक प्रक्रियाओं के कारण इसका स्तर बढ़ता है। PM 2.5 के बढ़ने के कारण धुंध छाने और साफ न दिखाई देने के साथ कई गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।
AQI स्तर
0 से 50: अच्छा
51-100: संतोषजनक
101-200: मध्यम
201-300: खराब
301-400: बहुत खराब
401-500: गंभीर
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