कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय पुरुष हॉकी टीम और ऑस्ट्रेलिया के बीच फाइनल मुकाबला खेला गया। इंडिया टीम में कुरूक्षेत्र के हॉकी खिलाड़ी सुरेंद्र कुमार भी शामिल रहे। मूल रूप से करनाल के बराना गांव निवासी सुरेंद्र पालड़ वर्तमान में कुरुक्षेत्र में रह रहे हैं। इंडिया हॉकी टीम ने सिल्वर मेडल हासिल किया।
घर में खुशी का माहौल
सुरेंद्र के घर खुशी का माहौल है। परिवार को थोड़ा दुख है कि टीम को गोल्ड जीत पाने में कामयाब नहीं हुई, लेकिन सिल्वर मेडल लेकर आना भी एक बड़ी उपलब्धि है। घर पर मिठाई खिलाकर खुशी मनाई जा रही है और परिवार का कहना है कि जब सुरेंद्र वापस भारत आएंगे उनका स्वागत पूरे हर्षोल्लास से किया जाएगा।
पत्नी से किया वादा निभाया
सुरेंद्र की पत्नी गरिमा का कहना है कि टीम का यहां तक पहुंचना एक अच्छी उपलब्धि है। पूरी टीम ने मेहनत की और सिल्वर जीतने में हम कामयाब हुए। जब सुरेंद्र घर से गए थे तब उन्होंने वादा किया था की वह मेडल लेकर ही वापस लौटेंगे और उन्होंने अपना वादा पूरा किया। यह मेडल पूरे भारत का मेडल है ।
पूरे देश का किया नाम रोशन
सुरेंद्र की माता नीलम देवी खुश है कि उनका बेटा इस टीम का हिस्सा है। वह कहती हैं कि जब सुरेंद्र ने हॉकी खेलना शुरू किया था तब लोग बोलते थे की इन्हें खिलाकर क्या करोगे, लेकिन आज सुरेंद्र की उपलब्धि ने पूरे परिवार का नाम ही नही देश का नाम रोशन किया है। पूरी टीम ने दिल से मैच को खेला लेकिन शायद आज उनका दिल नहीं था।
बचपन का किया जिक्र
सुरेंद्र के पिता मलखान सिंह सुरेंद्र के बचपन का जिक्र करते हुए कहा कि जब सुरेंद्र ने हॉकी खेलना शुरू किया था तब हमने सुरेंद्र को हॉकी स्टिक दिलाने से भी मना कर दिया। मेरे एक मित्र ने सुरेंद्र को हॉकी स्टिक दिलाई थी। आज उन्हें बेटे पर गर्व है कि ओलिंपिक में ब्रॉन्ज मेडल तो कॉमनवेल्थ में सिल्वर मेडल लाने वाली टीम का हिस्सा है।
उन्होंने कहा कि उनका परिवार एक साधारण परिवार है। मैं भी एक छोटा सा किसान था, लेकिन आज सुरेंद्र के कारण हमारे पास सभी सुख सुविधाएं हैं। मलखान ने कहा कि वह सभी को ऐसा बेटा मिलने की प्रार्थना करते हैं। पिता ने कहा कि जब सुरेंद्र घर वापस आएंगे तब पूरे जोर-शोर से उनका स्वागत किया जाएगा। इसकी तैयारियां अभी से शुरू कर दी गई है।
सुरेंद्र का द्रोणाचार्य स्टेडियम से शुरू हुआ करियर
हॉकी खिलाड़ी सुरेंद्र ने वर्ष 2004 में कुरुक्षेत्र के द्रोणाचार्य स्टेडियम से अपने करियर की शुरुआत की थी। वर्ष 2011 में महाराष्ट्र के पुणे में आयोजित हुई जूनियर नेशनल हॉकी चैम्पियनशिप में सुरेंद्र कुमार पालड़ ने शानदार प्रदर्शन किया था। टीम ने जीत दर्ज कर 50 साल का रिकॉर्ड तोड़ा था। इसके बाद सुरेंद्र का चयन भारतीय हॉकी शिविर के लिए हुआ था।
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