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नगर निगम के दर्जे को बचाने के लिए कानूनी संशोधन विषय के संदर्भ में डीसी को भेजी गई ईमेल को अर्बन लोकल बॉडीज डायरेक्टर को प्रेषित करने में तीन माह का वक्त लग गया। अब इस ईमेल पर आवश्यक कार्रवाई के लिए डीसी ने डायरेक्टर को लिखा है। इस दौरान अम्बाला सिटी नगर निगम के चुनाव भी हो चुके हैं।
सिटी निवासी पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने 27 अक्टूबर को डीसी को ई-मेल कर याचिका भेजी थी, जिसमें उन्होंने अम्बाला नगर निगम के दर्जे को बचाने के लिए एक्ट में कानूनी संशोधन कराने का विषय उठाया था। पिछले साल 19 सितंबर से हरियाणा नगरपालिका (संशोधन) अधिनियम, 2020 लागू हुआ था। इसके तहत हर जिला मुख्यालय पर स्थापित म्यूनिसिपैलिटी का दर्जा नगर परिषद का होगा।
बेशक वहां की जनसंख्या कितनी भी हो। इससे नगर निगमों का कानूनी अस्तित्व ही समाप्त हो गया है, क्योंकि संशोधित प्रावधान के अनुसार जिला मुख्यालय पर नगर की कितनी भी जनसंख्या हो, वह नगर परिषद ही कहलाएगी, जबकि फरीदाबाद नगर निगम दर्जा बरकरार रहेगा, क्योंकि हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 की धारा 3 में इसका स्पष्ट उल्लेख है। इसलिए उसका कानूनी अस्तित्व कायम है। वहीं नई मानेसर नगर निगम भी वैध है, क्योंकि मानेसर जिला मुख्यालय पर नहीं है।
वर्तमान में मानेसर के अलावा प्रदेश के जिला मुख्यालय पर अम्बाला, पंचकूला, यमुनानगर, करनाल, पानीपत, हिसार, रोहतक, सोनीपत, फरीदाबाद और गुरुग्राम नगर निगम हैं, जबकि जिला मुख्यालय कैथल, थानेसर (कुरुक्षेत्र), सिरसा, जींद, फतेहाबाद, भिवानी, चरखी दादरी, पलवल, रेवाड़ी, नारनौल और झज्जर में नगर परिषद हैं। केवल नूंह जिला मुख्यालय में ही नगरपालिका है, क्योंकि यहां की जनसंख्या 50 हजार से कम होने के कारण कानूनी रूप से नूंह नगर पालिका को नगर परिषद घोषित नहीं किया जा सकता।
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