सरसाें के तेल के दामाें में एक साल में काफी तेजी आई है। पिछले साल मार्च में लगभग 95 रुपए प्रति लीटर सरसाें के तेल का रेट था लेकिन अब जुलाई में 170 रुपए लीटर व 180 रुपए किलाे हाे गया है। कारण है कि सरसाें के दाम में उछाल आया है। वहीं यहां उत्पादन के मुकाबले ज्यादा खाद्य तेल बाहर विदेशों से आयात किए जाते हैं।
अगर बाहर से आने वाले माल की कीमतें ज्यादा होंगी तो जाे भी उत्पादन होगा, वो इन दामों से प्रभावित होगा। सरकारी एजेंसियों से भी माल खरीदा जाता हैं लेकिन वहां पर एक रेट नहीं होता। प्रेम ब्रांड के सरसाें के तेल के निर्माता तारा चंद ने बताया कि पिछले साल 110 रुपए तेल का रेट था जाे अब बढ़कर 170 रुपए लीटर हाे गया है। वजह है कि कच्चे माल का रेट बढ़ गया है।
रिफाइंड के मुकाबले सरसों तेल की डिमांड भी ज्यादा रहती है। काेराेना के बाद सरसाें के तेल की डिमांड भी बढ़ गई है। राेज 40 से 45 क्विंटल सरसों से तेल तैयार किया जा रहा है। दुकानदारों के मुताबिक बीमारियों से बचने के लिए लोग खाने में सरसों के तेल का अब ज्यादा इस्तेमाल करने लगे हैं।
दाम बढ़ने के 3 कारण...
कंपनियों ने सरसों किया स्टॉक-
1. तेल विक्रेता राजेंद्र ने बताया कि सरसों के तेल का महंगा होने का बड़ा कारण ये है कि इस बार सरसों का रेट ही पिछले साल के मुकाबले काफी बढ़ गया है। पिछले साल 5500 रुपए प्रति क्विंवटल सरसाें मिलती थी जाे अब 7000 रुपए प्रति क्विंटल मिल रही हैं। वहीं सरकारी एजेंसियां सरसों बेचती हैं, उन्होंने भी ज्यादा रेट पर सरसों खरीदी। इसके चलते अब वे ज्यादा दाम पर ही इसको बेच रही हैं।
2. कुछ प्राइवेट कंपनियों ने इस बार 60 फीसदी से ज्यादा सरसाें खरीदकर स्टॉक कर ली। इसके बाद वे इसे अब मनमर्जी के दाम पर बेच रहे हैं। आॅयल मिल्स को इसी दाम पर सरसों खरीदनी पड़ रही है। वहीं, जो सरकारी एजेंसियां सरसों बेचती हैं, उन्होंने भी ज्यादा रेट पर सरसों खरीदी। इसके चलते अब वे ज्यादा दाम पर ही इसको बेच रही हैं।
3.दुकानदारों के मुताबिक सरसों के तेल की डिमांड पिछले साल के मुकाबले 4 से 5 गुना तक बढ़ी है। एक दुकानदार जो दिन में 20 लीटर रिफाइंड बेचता था और 5 लीटर सरसों का तेल, अब 20 लीटर तक सरसों का तेल बेच रहा है। रिफाइंड की मांग कम होकर 5-7 लीटर की रह गई है। बीमारियों से बचने के लिए लोग खाने में सरसों के तेल का अब ज्यादा इस्तेमाल करने लगे हैं।
दुकानदारों की इन्वेस्टमेंट दोगुनी हो गई है और मार्जिन लगभग खत्म। रिफाइंड के मुकाबले सरसों के तेल की डिमांड भी ज्यादा है और तेजी भी। -ताराचंद, होलसेल व रिटेल विक्रेता
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