अम्बाला में जीएसटी घोटाला:साइंस फर्मों ने दाल, चीनी के बिलों पर लिया इनपुट क्रेडिट, 400 करोड़ रुपए का घोटाला

अम्बाला2 वर्ष पहलेलेखक: रितिका एस. वोहरा
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प्रतीकात्मक फोटो। - Dainik Bhaskar
प्रतीकात्मक फोटो।
  • सरकार को 100 करोड़ का चूना

साइंस सिटी अम्बाला में 400 करोड़ रु. की फेक बिलिंग के जरिए जीएसटी का बड़ा घोटाला हुआ है। सरकार को करीब 100 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। 30 फर्मों की एक बोगस सप्लाई चेन ने साइंस फर्मों से कमीशन लेकर बिना सामान की खरीद-फरोख्त किए ही बिल जारी किए। इनपुट टैक्स क्रेडिट के लिए पहुंचे आवेदनों में काफी बिल एक ही फर्म को जारी मिले तो सेंट्रल जीएसटी अधिकारियों को शक हुआ।

पिछले कुछ दिनों में ही अम्बाला में 50 से ज्यादा रेड हो चुकी हैं। इस घोटाले में कई नामी फर्में शामिल हैं। सीजीएसटी की पंचकूला कमिश्नरेट से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों ने इसकी पुष्टि की। बताया कि फ्रॉड पकड़ने को 5 अप्रैल के बाद से लगातार छापामारी चल रही है। इसके अलावा ईडब्ल्यूबी पोर्टल व बीआईएफए जैसे कई आईटी टूल्स का इस्तेमाल किया गया। कुछ फर्में सेटलमेंट के तहत 8 करोड़ रुपए जमा करवा चुकी हैं। अभी जांच जारी है। इस मामले में जांच के बाद एफआईआर व अन्य कानूनी कार्रवाई से इंकार नहीं किया जा सकता।

ऐसे समझें कैसे हुआ ये फर्जीवाड़ा

मान लीजिए ए फर्म ने बिना कुछ सामान लिए ही बी फर्म से 10 लाख रु. के सामान का बिल कटवा लिया। इस पर 18 फीसदी के हिसाब से 1.80 लाख रु. जीएसटी बनता है। ए फर्म ने बी को एक नंबर में यानी बैंक या चेक के जरिये 11.80 लाख रु. का भुगतान कर दिया। बी फर्म ने 18% जीएसटी में से आधा यानी 90 हजार रु. अपनी कमीशन काटकर शेष रकम दो नंबर में यानी कैश में ए फर्म को लौटा दी।

इसमें घपला शुरू हुआ बिना सामान खरीद-फरोख्त के सिर्फ बिल देने से। दूसरा घपला किया बी फर्म ने। उसने इस बिल का कोई जीएसटी भरा ही नहीं। घपला नंबर तीन ये कि ए फर्म ने इस बिल को जीएसटी रिटर्न में दिखा कर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) ले लिया। अब हुआ ये कि बिल का लेन देन हुआ 10 लाख का और 1.80 लाख रुपए के जीएसटी में से सरकार को एक पैसा भी नहीं मिला। उल्टा ए फर्म ने बिल का आईटीसी ले गया।

अम्बाला में सबसे ज्यादा बिल केजी इंटरनेशनल, सत्यम इंटरप्राइजेज और कृष्णा इंटरप्राइजेज के हैं। करीब 95 फर्मों को नोटिस जारी हुए हैं। इनमें बड़ी फर्मों से लेकर ब्लोइंग की छोटी फर्में तक शामिल हैं। कई और को नोटिस देने की तैयारी है। विभागीय सूत्रों के अनुसार साइंस उद्यमियों ने अपने बिजनेस से संबंधित सामान की बजाय एफएमसीजी (तेजी से बिकने वाले उत्पाद जैसे रसोई का राशन) उत्पादों व अन्य सामानों के बिल भी लिए।

साइंस की छोटी-बड़ी 2,000 इकाइयां

अम्बाला में साइंस की छोटी-बड़ी दो हजार से ज्यादा इकाइयां हैं। यहां से करीब डेढ़ हजार करोड़ रुपए का सामान कई देशों में निर्यात भी होता है। घोटाला पकड़ में आने के बाद साइंस इकाइयों पर रेड शुरू हुई तो कई साइंस इंडस्ट्रियलिस्ट 2 जुलाई को गृहमंत्री अनिल विज के पास पहुंचे। लेकिन मामला सेंट्रल जीएसटी से संबंधित है लिहाजा छापेमारी नहीं रुक रही। मंगलवार काे एएस ट्रेडर्स पर छापा मारा गया। साेमवार काे शिवा ट्रेडिंग सील हुई।

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