हरियाणा के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के अपने ही क्षेत्र में डेंगू बेकाबू हो गया है। सोमवार को 11 नए मरीज सामने आने से डेंगू ने अंबाला में 7 साल का सबसे बड़ा रिकॉर्ड बना दिया है। अब जिले में डेंगू के मरीजों की संख्या 584 पहुंच गई है। उधर, नारायणगढ़ में युवाओं की टोली आपसी सहयोग से खरीदी मशीन के जरिए फॉगिंग कर रही है। इससे पहले सबसे ज्यादा यानि 582 मरीज 2016 में सामने आए थे। 2015 में 552 थे। इसके बाद हर साल मामलों में लगातार गिरावट देखी जा रही थी। लेकिन इस बार यह आंकड़ा स्वास्थ्य विभाग द्वारा डेंगू से रोकथाम को लेकर किए गए दावों को खोखला साबित कर रहा है।
विभाग की लेटलतीफी का ही नतीजा है कि डेंगू पूरे जिले में अपने पैर पसार चुका है। फॉगिंग व स्वास्थ्य विभाग द्वारा घरों में जाकर डेंगू का लारवा खत्म किया गया था। इसके बावजूद डेंगू अपना प्रकोप दिखा रहा है। जिले में शायद ही ऐसी कॉलोनी होगी, जहां से डेंगू के मरीज सामने न आए हों। इस बार तो शहरों के साथ-साथ गांवों में भी डेंगू पैर पसार चुका है। स्थिति यह बन चुकी है कि सिविल अस्पतालों में केवल गंभीर यानी 20 से 30 हजार के नीचे प्लेटलेट्स वाले मरीजों को दाखिल किया जा रहा है। दूसरे मरीजों को महज दवा देकर घर पर आराम करने के लिए भेज दिया जाता है। अस्पतालों में भी जगह का टोटा है।
युवाओं ने उठाया फॉगिंग का जिम्मा
डेंगू के बढ़ते प्रकोप के बीच नारायणगढ़ में युवाओं की टोली सामने आई है। प्रशासन का सहयोग करने के लिए स्वयं भी मैदान में उतर कर कार्य कर रहे हैं। विनय लक्की शर्मा, भूपिंद्र वर्मा, जगन सैनी, दीपांकर, राहुल आदि युवाओं ने अपने मोहल्ले व अन्य क्षेत्रों में न केवल फॉगिंग की है, बल्कि यह भी संदेश दिया है कि हमें नियमित रुप से अपने घर व आसपास के क्षेत्र की साफ-सफाई की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। विनय, लक्की शर्मा तथा दीपांकर वर्मा का कहना है कि डेंगू बुखार की रोकथाम के लिए कृष्णा कलोनी वार्ड 13/14 व कुछ अन्य क्षेत्रों में फॉगिंग का कार्य किया है। आपसी सहयोग से एक फॉगिंग मशीन लेकर यह कार्य शुरू किया है। फॉगिंग मशीन में प्रयोग होने वाली मच्छररोधी दवाई वह नगरपालिका ले रहे हैं।
10 हजार कटने के बावजूद एक पर भी नहीं हुई कार्रवाई
स्वास्थ्य विभाग की टीम लगातार कॉलोनियों, गली-मोहल्लों में डोर टू डोर डेंगू के लारवा की जांच कर रही है। करीब 10 हजार घर ऐसे हैं, जहां से एक या दूसरी बार लारवा मिल चुका है। कई कॉलोनियों के घरों में तो डेंगू का लारवा बार-बार मिलता दिख रहा है। कभी खाली बर्तन तो कभी कूलर या फिर पानी की होदी में। 2016 के बाद अभी तक स्वास्थ्य विभाग की ओर से किसी पर भी कानूनी कार्रवाई नहीं की गई। महज नोटिस देकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया जाता है। इतना ही नहीं डेंगू से कई मौत हो चुकी हैं। बावजूद इसके प्रशासन इन्हें डेंगू से मौत न मानकर मुंह फेर लेता है।
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